Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 452
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ४३२ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ (आणन्दे १) १८६६-२ ४(45), १३४७-२, ७४८६(45), ७१२४६७), ८१८७-२(5), २४७८-२(१), (२) आनन्दादि दशश्रावक नाम-टबार्थ, मागु., गद्य, जै., (आणन्द २६९१६), २४८९(5) श्रा) १८६६-२ (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति का भाष्य, प्रा., गा. २५३, पद्य, मूपू.. आनन्दादि दशश्रावक नामादिविवरण यन्त्र, प्रा.,मागु., कोष्टक, (अवरविदेहे) ३४८७+), ७१५९), २५५३(5), ३४२०(+5). __ जै., (-) ४६६५-२(+) ३४२१(+5), ८९२३(45), २६९१(६), २४८९६) । आप्तमीमांसा, आ. समन्तभद्र, सं., श्लोक ११५, पद्य, दि., | (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति के भाष्य की लघुटीका#, आ. (देवागमनभोय) ३७५८(+#5) तिलकाचार्य, सं., गद्य, मूपू., (-) ७१५९५). २५५३+३), (२) आप्तमीमांसा-अष्टशतीभाष्य, आ. अकलङ्कदेव(दि.), सं., ८९२३(45), २६९१(६), २४८९(5) ग्रं.८००, गद्य, (उद्दीपीकृत)-<प्रतहीन.> (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति के भाष्य की दीपिका टीका#, आ. (३) आप्तमीमांसा-अष्टशतीभाष्य की अष्टसहस्रीटीका, आ. ___ माणिक्यशेखरसूरि, सं., गद्य, मूपू., (-) २६७९(4) विद्यानन्दस्वामी, सं., ग्रं.८०००, गद्य, दि., (श्रीवर्द्ध) ३७५८(+#5) | (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति के भाष्य की टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, आयुर्वेदसार सङ्ग्रह, सं., पद्य, मूपू., (स्वस्ति) ६८२८-२(१) सं., गद्य, मूपू., (-) ३४२०(45), ३४२१(+६) आयुर्वेदसार सङ्ग्रह, मु. मानजी, सं., गद्य, मूपू., (-) ४८७८(5) (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति के भाष्य की अवचूर्णि# , गणि आयुष्य विचार, प्रा., पद्य, मूपू.. (मणुआण वीसो) ११५१-२ धीरसुन्दर, सं., वि. १५वी, गद्य, मूपू., (अपरविदेहे) ३४८७१) आरम्भसिद्धि, आ. उदयप्रभसूरि, सं., ५ विमर्श, ग्रं.४६०, वि. (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की लघुटीका#, आ. तिलकाचार्य, सं., १३वी, पद्य, मूपू., (ॐ नमः सकल) ४९८४-१(4) वि. १२९६, गद्य, मूपू., (-) ७१५(4), २५५३(+5), २६९१(६), आराधनापताका, प्रा., गा. ९३२, ग्रं.१०७०, पद्य, मूपू., (सम्म २४८९(5) नरिन) ५१५५ (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की दीपिका टीका#, आ. आराधनापताका प्रकीर्णक, गणि वीरभद्र, प्रा., गा. ९९०, पद्य, माणिक्यशेखरसूरि, सं., गद्य, मूपू., (-) २६७९(+) मूपू.. (नियसुचरियग) ३२६३ (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की शिष्यहिता टीका#, आ. आराधना वार्ता, प्रा.,मागु., पद्य, जै., (नमो अरिहन) १७३-२(+) हरिभद्रसूरि, सं., ग्रं.२२०००, गद्य, मूपू., (-) ३४२०(45), आरामशोभा कथा, प्रा., पद्य, जै., (-) ९१६७४+६) आरामशोभा कथानक, सं., गद्य, मूपू., (सद्धर्ममूल) ४१५९ (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की अवचूर्णि#, गणि धीरसुन्दर, सं., आलाप पद्धति, आ. देवसेन, सं., गद्य, दि.. (गुणानां वि) ६१२१- वि. १५वी, गद्य, मूपू., (परमेष्ठिनः) ३४८७(+) (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति का हिस्सा सामायिकअध्ययन नियुक्ति, आलोचना, सं., गद्य, मूपू., (बालालोचनाय) ३२७४-३ आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., प्रथमअध्ययन, पद्य, मूपू.. आलोयणा प्रकरण, प्रा., गद्य, मूपू., (-) २६४६ (आभिणिबोहिय) ७१७(+), ७१८(+), ७१९(5) आलोयणा रथ, प्रा.,मागु., गा. १, प+ग, मूपू., (आलोयणा परि) (४) विशेषावश्यकभाष्य, आ. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, प्रा., प्रथम ७५३९-१८ अध्ययन, गा. ३६०३, पद्य, मूपू., (कयपवयणप्पण) ७१७+7, आलोयणा रथ, प्रा.,मागु., गा. १, प+ग, मूपू., (कय चउसरणो) ७१८(+), ७१९६६) ७५३९-४ (५) विशेषावश्यकभाष्य-शिष्यहिता बृहट्टीका, आ. हेमचन्द्रसूरि आलोयणा विचार, प्रा.,मागु., गद्य, मूपू., (इच्छाकारेण) ५६७९- मलधारि, सं., ग्रं.२८०००, वि. १२वी, गद्य, पू., (श्रीसिद्धा) ७१८(+), ७१९(६) आवश्यकसूत्र, प्रा., ६ अध्ययन, सूत्र १०५, प+ग, मूपू., (णमो (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति का हिस्सा सामायिकअध्ययन की अरहंता) ३७६३(१), ४३३९(१), ७१५+, ३७१७), २५५३(45), छाया, सं., वि. २१वी, पद्य, मूपू., (कृतप्रवचनप) ७१९७) ३४२१(45), ४०९४+६), ७५२०, ७८४१-१, ८४६८-१, ४६७९, (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति का हिस्सा पीठिका, आ. ५५०५(६), ७४३१(६), ९३१४(5), २४८९९६) । भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गा. ८१, पद्य, मूपू., (आभिणिबोहिय) (२) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति , आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गा. २५५०, ८००७ ग्रं.३१००, पद्य, मूपू., (आभिणिबोहिय) ३४८७(+), ७१५(+), (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति का हिस्सा पीठिका का बालावबोध, २५५३+६), ३४२०+६), ३४२१(+६), ७२६२(+$), ८९२३(45), २४५२- गणि संवेगदेव, मागु., वि. १५१५, गद्य, मूपू., (श्रीवर्द्ध) ८००७ ३४२१(+9) २) For Private And Personal Use Only

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