Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 462
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ४४२ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ (२) औपदेशिक श्लोक सङ्ग्रह-अर्थ', मागु., गद्य, जै., (मोटा | कर्त्तव्यबोध, सं., श्लोक ११, पद्य, जै., (पश्चात् रज) ५८७३-२) दाननो) ३१४७६) कर्पूरप्रकर, मु. हरिसेन, सं., श्लोक १७९, पद्य, मूपू., (कर्पूरप्रक) औपदेशिक श्लोकसङ्ग्रह, प्रा., गा. १०, पद्य, जै., (जयई ३५६७-१(+), १७१५ जगजीवज) १७९५-२७, ६००४-५६() (२) कर्पूरप्रकर-टिप्पणक, सं.,मागु., गद्य, मूपू., (व युष्माक) औपदेशिक श्लोक सङ्ग्रह, प्रा.,सं.,मागु., ग्रं.५६८, गद्य, मूपू., | ३५६७-१(4) (-) ६३९३ (२) कर्पूरप्रकर-बालावबोध, गणि मेरुसुन्दर, मागु., गद्य, मूपू., औपदेशिक श्लोक सङ्ग्रह', सं.,प्रा.,मागु., पद्य, जै., (धर्मे रागः) (पार्श्वश्र) १७१५ २९०५-३(+), १२१०(45), ६५६४ | (२) कर्पूरप्रकर-कथा*, मागु., गद्य, मूपू., (-) १७१५ (२) औपदेशिक श्लोक सङ्ग्रह-टबार्थ, मागु., गद्य, जै., (अर्हन्त । (२) कर्पूरप्रकर-रोहिणेयचोर कथा, सं., श्लोक ७६, पद्य, मूपू., भग) १२१०+६) (धेषपिबोधकव) ३०२ औपदेशिक श्लोक सङ्ग्रह - शान्तिचरित्रे, सं., गा. १९९, पद्य, | (३) कर्पूरप्रकर-रोहिणेयचोर कथा का टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., जै., (-) ६७७५ (हिवई पजूस) ३०२ औपपातिकसूत्र, प्रा., सूत्र १८९, ग्रं.१६००, प+ग, मूपू.. (तेणं कर्पूरमञ्जरी, कवि राजशेखर, प्रा., ४ जवनिका, पद्य, (भदं होउ) कालेण) ७२), ६६४६), २०५६(+), ४१६६६), ४१६७(+), ९००७ ४४१७(+), ५०११-१(+), ५९६०(+), ८८१७+), १४९(+), ८०६(+), (२) कर्पूरमञ्जरी-टीका, मागु., गद्य, मूपू., (अहँ सरस) ९००७ ५४२३(+), ९३०(+). ४६१५(45), ६६५, ६७०, ४४२२, ५२८३, कर्मग्रन्थ , प्रा., अध्याय ६, पद्य, (सिरिवीरजिण)-<प्रतहीन.> ५७११, ७५३१, ९६३, १७१३(45), १२७६६), ९५४(६), ७२२१(5) (२) कर्मग्रन्थ-यन्त्र, मागु., कोष्टक, मूपू., (--) ८७३१(७) (२) औपपातिकसूत्र-टीका, आ. अभयदेवसूरि , सं., ग्रं.३१२५, कर्मनिर्जरणी चतुर्दशीव्रत विधान, सं., गद्य, दि., (जयन्ति भव) गद्य, मूपू., (श्रीवर्द्ध) ६६४+), २६९९), ५२८३, ३०५९ ६००२-२९(+) (२) औपपातिकसूत्र-विषमपद टिप्पण*, सं.,मागु., गद्य, मूपू., (-) | कर्मनिर्जरणीव्रत कथा, सं., श्लोक २३, पद्य, दि., (प्रणम्य) ५०११-१५), ९३०+), ८०६) ६००२-५७) (२) औपपातिकसूत्र-दुर्गमपद बालावबोध, ऋ. मोहन ऋषि, मागु., | कर्मप्रकृति, मु. नेमिचन्द्र सैद्धान्तिक, प्रा., गा. १६१, पद्य, दि., गद्य, जै., (प्रणम्य) ४१६६(+) | (पणमिय सिरस) ४११६-१(+5) (२) औपपातिकसूत्र-टबार्थ, आ. पार्श्वचन्द्रसूरि, मागु., गद्य, मूपू., कर्मप्रकृति, आ. शिवशर्मसूरि, प्रा., ७ अधिकार, गा. ४७५, पद्य, (वन्दित्वा) ७२(+), ४१६७(+), ५४२३(+), ९६३, १७१३(#5) ___ मूपू.. (सिद्धं सिद) ९८३ (२) औपपातिकसूत्र-टबार्थ, मु. राजचन्द्र, मागु., गद्य, मूपू., (२) कर्मप्रकृति-टीका, आ. मलयगिरिसूरि , सं., गद्य, मूपू., (वन्दित्वा) ५७११, ७५३१ (प्रणम्य कर) ९८३ (२) औपपातिकसूत्र-टबार्थ', मागु.. गद्य, मूपू., (चउथा आरानइ) कर्मप्रकृति गाथा, प्रा., गा. ३, पद्य, मूपू., (गइ जाइ तणु) ७५०९ ४४१७+), ४६१५९+5), ४४२२, ७२२१(5) कजलावतार, मागु.,सं., गद्य, जै., (गुरुपुष्य) ९०७८-२७) कर्मप्रकृतिपञ्चविंशतिका, प्रा., गा. २५, ग्रं.१२५, पद्य, मूपू., कथाकलाप, सं., गद्य, जै., (श्रीमण्डोव) ५६३७७) (मूलपगइ अट) ४५६८-२(+) कथा श्लोक सङ्ग्रह-सम्यक्त्वादिविषये, सं., श्लोक ६७, पद्य, (२) कर्मप्रकृतिपञ्चविंशतिका-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (मूल जै., (त्वं स्मरस) ८२४९-२ कर्मनी) ४५६८-२) कनकावलीव्रत, मु. विमलकीर्ति, सं., श्लोक ४९, पद्य, दि., कर्मरेखा चरित्र, सं., ४ स्कंध, पद्य, म्पू., (प्रणम्य शि) ११९१(६) (नत्वा वीरं) ६००२-२५) (२) कर्मरेखा चरित्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (वामापुत्र) ११९१७) करणकुतूहल, आ. भास्कराचार्य, सं., १० अधिकार, ग्रं.२००, ईस. कर्मविपाक, सं., पद्य, वै., (अरुण उवाच) ७९४४-२(48) ११८४, पद्य, (गणेशं गिरं) २४९२(+) (२) कर्मविपाक-टबार्थ, मागु., गद्य, वै., (अरजुनजी कह) ७९४४(२) करणकुतूहल-गणककुमुदकौमुदी टीका, गणि सुमतिहर्ष, सं., ग्रं.१८५०, वि. १६७८, गद्य, मूपू.. (श्च्योतच्छ) २४९२(+). कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ, आ. देवेन्द्रसूरि, प्रा., गा. ६०, पद्य, मूपू., (सिरिवीरजिण) २४६९-१(+), २४८०-१९+), २९६९-१(+), २१८०) For Private And Personal Use Only

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