Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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४५६
१०८५(क)
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ ज्वारारोपण विधि, सं.,मागु., पद्य, मूपू., (कुसम्भकं) ८८६७-४) । (२) तर्कसङ्ग्रह-स्वोपज्ञ तर्कदीपिकाटीका, अन्नं भट्ट, सं., गद्य, ज्वालामालिनी स्तोत्र, सं., गद्य, जै.. (ॐ नमो भगव) २५९-८(+). | (विश्वेश्वर)-<प्रतहीन.> ६२७९-७+)
(३) तर्कसङ्ग्रह-स्वोपज्ञ तर्कदीपिका टीका का विवरण, सं., तत्त्व सङ्ग्रह, सं.,प्रा.,मागु., पद्य, मूपू., (बारस गुणा) ६८८५) गद्य, वै., (श्रीपार्श) ७५१५(5) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, वा. उमास्वाति, सं., अध्याय १०, सूत्र १९८, ताजिकसार, हरिभट्ट, सं., ४४द्वार, श्लोक ४००, शक. ११०५,
प+ग, मूपू., (सम्यग्दर्श) २२२), १०८५(+), १७४२(+), १६५४, पद्य, (श्रीरामस्य) ८८४६) ५०४१, ३०३३, ५३६६-२०. ७६६६७०
(२) ताजिकसार-कारिका टीका, गणि सुमतिहर्ष, सं., वि. १६७७, (२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-स्वोपज्ञ भाष्य, वा. उमास्वाति, सं., अध्याय गद्य, मूपू.. (श्रीसूर्यच) ८८४६(+), २५७९-१(+), ५६९५(5) १०, ग्रं.२२००, गद्य, मूपू.. (सम्यग्दर्श) ५३६६-२(5)
(२) ताजिकसार-बीजक, सं., गद्य, (वर्षप्रवृत) ८८४६(+) (२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-टीका# , गणि सिद्धसेन, सं., ग्रं.१८२८२, तिजयपहुत्त स्तोत्र, प्रा., गा. १४, पद्य, मूपू.. (तिजयपहुत्त) ___ गद्य, मूपू., (जैनेन्द्रश) ३६४२-२५), ५३६६-२()
२६२६-५९). ६०८३-२), ६०८३-६(+), ७५५१-९(+), १४८५(२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-बालावबोध, प्राहि., गद्य, मूपू., (मोक्ष मार) ९), १६७८-३(+#5), २९९७-२६+5), १७८९-१, ५४४२-७,
५४९०-४३, ५८२७-८५, ६०११-११, ६३६४-२, १७९६-८, (२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-टबार्थ", प्राहिं., गद्य, मूपू., (सम्यग्दर्श) ७८७३-२, ५४८९-११(६), ८९२७-३(१), ७०००-३(5) २२२६)
तीर्थमाला स्तोत्र, आ. महेन्द्रसिंहसूरि, प्रा., गा. १११, पद्य, मूपू.. (२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-नयअधिकार, वा. उमास्वाति, सं., पद्य, (अरिहन्तं) २७१, १३१८-१ मूपू., (नैगमसङ्ग्र) ४५२६(+#)
(२) तीर्थमाला स्तोत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (अर्हन्तं) २७१ (३) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-हिस्सा नय अधिकार की-सर्वार्थसिद्धि तीर्थवन्दना चैत्यवन्दन, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (ख्यातोष्टा) टीका , आ. देवनन्दी, सं., गद्य, दि., (नैगम १ सङ)
६०५३-१२(+) ४५२६(१)
तीर्थवन्दना चैत्यवन्दन, सं., श्लोक १०, पद्य, मूपू., (सद्भक्त्या ) (२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-सम्बन्धकारिका आदि, वा. उमास्वाति, सं., ६०५३-११), २३३७-३(+), ९४८-२, १४१३-३, ५४९०-५५, श्लोक ३१, पद्य, मूपू., (सम्यग्दर्श) ५३६६-१(5)
५८२७-४९, ६२६९-२,६०९६-६(७), ६०४२-५(5) (३) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-आद्य सम्बन्धकारिका की टीका , आ. तेजसारकुमार कथा, सं., गद्य, जै., (सुकुल जन्म) ८३२९७) देवगुप्तसूरि, सं., गद्य, मूपू.. (वीरं प्रणम) ३६४२-१५, ५३६६- ।। तेरापन्थीमत खण्डन, प्रा.,मागु., गद्य, मूपू., (केइ एक क्र) ४४३९
त्रिपताकाचक्र, सं., पद्य, (रेखात्रयं) २५७९-२(4) तन्दुलवैचारिक प्रकीर्णक, प्रा., प+ग, मूपू.. (निज्जरिय) ४००४), | त्रिपुराभवानी स्तोत्र, आ. लघ्वाचार्य, सं., श्लोक २४, पद्य, वै., ८९४१(+), ९१२९(+), ८४६७), ३३०५(5), ७२०
(ऐन्द्रस्यै) ६३९१५), ६४०१-१ (२) तन्दुलवैचारिक प्रकीर्णक-बालावबोध, आ. पार्श्वचन्द्रसूरि, (२) लघुस्तव-ज्ञानदीपिका टीका, आ. सोमतिलकसूरि, सं.,
मागु., ग्रं.२०००उभय, गद्य, मूपू.. (कल्याणवल्ल) ८९४१), ग्रं.४७०, वि. १३७९, गद्य, मूपू., (सर्व) ६३९१५) ९१२९(+), ८४६७(+). ३३०५६)
त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, (२) तन्दुलवैचारिक प्रकीर्णक-टबार्थ, राज., गद्य, मूपू., (तप जप सं., खण्ड १०पर्व+परिशिष्ट, ग्रं.३५०००, वि. १२२०, पद्य, सञ्ज) ४००४(+)
मूपू., (सकलार्हत्प) ३२८०,३२४३(4),७६१६(१), ३७६ (+5), तपग्रहणविधि सङ्ग्रह, सं.,प्रा.,मागु., पद्य, मूपू., (प्रथम इरिय) १३२९+5), ४०२५, ९०९८, १९४२(#5), ६४७३(७), १०१७(5) ६०६२-८(5)
(२) त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र-टबार्थ, पं. रामविजय, मागु., तप स्थ, प्रा.,मागु., गा. १, प+ग, मूपू.. (नाणाविणई) ७५३९-९ गद्य, मूपू., (प्रणम्य पर) ४०२५ तपागच्छ पट्टावली, उपा. धर्मसागरगणि, प्रा., गा. २१, पद्य, (२) त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र का हिस्सा अष्टमपर्व, आ. मूपू.. (सिरिमन्तो) ४२९२, ४९९६
हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., सर्ग १२, ग्रं.४७८८, पद्य, (२) तपागच्छ पट्टावली-स्वोपज्ञ वृत्ति, उपा. धर्मसागरगणि, सं., मुपू., (नमो विश्वन) ७८२९(4) गद्य, मूपू., (सिरिमन्तोत) ४२९२, ४९९६
(३) त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र का हिस्सा अष्टमपर्व-टबार्थ, मु. तर्कसङ्ग्रह, अन्नं भट्ट, सं., गद्य, (निधाय हृदि)-<प्रतहीन.>
रामविजय, मागु., वि. १८३४, गद्य, मूपू., (प्रणम्य पर)
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