Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 478
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ४५८ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ ५२७५(६), ५४८०(5), ५९५६(७), ६४६२६६), ६८९२(5), ६९१७६७), प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (धम्मो मङ्ग) ५४८९-५६(७). ६००४६९८५(६०, ७०८१७). ७१४८(5), ७१८९६०, ८१३३(७), ८१९९६), २०६), ६०९०-३६. ६०१८-७६) ८७१३६७), ६९७६(७), ७९६१६), ६८४८६), ६९०१६), १७८१-२(5) | (२) दशवैकालिकसूत्र-कथा, मागु., गद्य, मूपू., (-) ५७००(+) (२) दशवैकालिकसूत्र-नियुक्ति, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, | (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, मु. जिनलब्धि, मागु., ढाल ११, मूपू., (सिद्धिगइमु) १४०(+) _ वि. १७३४, पद्य, मूपू., (सुख दायक) २७०७(+) । (२) दशवैकालिकसूत्र-टीका, आ. तिलकाचार्य, सं., ग्रं.७०००, वि. (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, मु. जैतसी, मागु., अध्याय १०, १३०४, प+ग, मूपू., (अर्हन्तः ) २६९८(45), १२७१() वि. १७१७, पद्य, मूपू.. (धर्ममङ्गल) ४६१७(+), २४०२(+#), (२) दशवैकालिकसूत्र-दीपिका वृत्ति, उपा. समयसुन्दर गणि, सं., ४६४१, ६०५२-३१, ७५६२-६, ८३४९, २१७५, १६५८, ८२७९६६) ग्रं.३४५०, वि. १६९१, गद्य, मूपू., (स्तम्भनाधी) ४००२, ४०२२ | (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय सङ्ग्रह, मु. वृद्धिविजय, मागु., (२) दशवैकालिकसूत्र-लघुटीका, आ. सुमतिसूरि, सं., ग्रं.३५००, पद्य, मूपू., (-) ८१८२(5) गद्य, मूपू.. (जयति विजित) २०६६(५), ७८+), ८८४०(+) (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, मु. वृद्धिविजय, मागु., गा. ७, (२) दशवैकालिकसूत्र-शिष्यबोधिनी टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, मूपू.. (गणधर धरम) १७९५-३ ग्रं.६८५०, गद्य, मूपू., (जयति विजित) १४०+), ७०३(+), (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, मु. वृद्धिविजय, मागु., गा. १५, ३४१५५), ८८७३-१ पद्य, मूपू., (नवमी नेमि) ६०१७-१२) (२) दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि, सं., ग्रं.२२४३, गद्य, मूपू., (२) दशवैकालिकसूत्र-सज्झाय, मु. वृद्धिविजय, मागु., (इहार्थतः) २८२७(+) ११सज्झाय, पद्य, मूपू., (श्रीगुरूपद) ८१,४९७०, ५२७१, (२) दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (धम्मो मङ्ग) ६०६६-१, ५७७८ १३०२-१,३३९४ दशाश्रुतस्कन्धसूत्र, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., १० दशा, ग्रं.१३८०, (२) दशवैकालिकसूत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू.. (संहितादि) १०२३ पद्य, मूपू., (नमो अरिहंत) १५२३(+), १८९८-१(+), ४६४६(+), (२) दशवैकालिकसूत्र-विषमपदपर्याय टिप्पण, सं., गद्य, मूपू., ५०११-२(१), ५८५३(+), ५४३४), ४१२२), ७०८४(45), १७३८, (वोन्दीति) ३४७२-३(+) ५८४२, ८२६२(5) (२) दशवैकालिकसूत्र-सुखावबोध, मागु., गद्य, मूपू., (इहां प्रथम) | (२) दशाश्रुतस्कन्धसूत्र-विषमपद टिप्पण', मागु., गद्य, मूपू., (-) ७५२६६५), ४३७६ ७०८४(5) (२) दशवैकालिकसूत्र-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., (धर्म सर्वो) | (२) दशाश्रुतस्कन्धसूत्र-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (--) ८२६२(१७) २०६९), २०६८(). ३३९४ । (२) दशाश्रुतस्कन्धसूत्र-टबार्थ, मागु.. गद्य, मूपू., (नमस्कार था) (२) दशवैकालिकसूत्र-बालावबोध, उपा. राजहंस, मागु., गद्य, १७३८ मूपू., (नत्वा श्री) ५७००(+), ५२७५(5) (२) दशाश्रुतस्कन्धसूत्र-टबार्थ, मागु.. गद्य, मूपू., (वर्द्धमानं) (२) दशवैकालिकसूत्र-टबार्थ, प्राहि., गद्य, मूपू., (प्रणम्य) ८०) ५८५३+), ५८४२, ४७०४-२ । (२) दशवैकालिकसूत्र-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (ध० जीवनइ) (२) दशाश्रुतस्कन्धसूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (श्रीदशाश्र) ८२(+), ८३(+). ३१७९), ३४००+), ३४०३(+), ३७६५), १५२३(+), ४६४६(+), ४१२२) ३८५१(+), ३९७६(५), ४०८३(+), ४५९०५), ४६११-१(+), ४६४०). दानकल्पद्रुम, आ. जिनकीर्तिसूरि, सं., ९ पल्लव, पद्य, मूपू.. (स ५२५६(+), ५२८७), ६३८४(+), ८००६(+), ९११६(+), ८९९(+), श्रेयस्त) ५५९१(+), ८६३४(+), ७५९-१ ३५३८(+), ५३९७+), ५८१०+), ६४०५(५), ८५(4). ३२७१-१(4), (२) दानकल्पद्रुम-टबार्थ, मु. रामविजय, मागु., वि. १८३३, गद्य, ९१०१(+), ८४-१९+), १०१५+६), ८४५३(+६), ७३५१६+६), मूपू., (श्रीऋषभस्व) ७५९-१ ७६११+5). ७००, ३७६६, ५३९८, ५४२९, ५७१५, ५७९३, (२) धन्ना चरित्र-टबार्थ, पं. रामविजय, मागु., वि. १८३३, गद्य, ५८३२, ७८२८, ८७०६, ५२७४, ७८६३, ३२२६६०, ५४८०६). मूपू., (हे भव्यप्र) ८६३४(+) ६८९२(७), ६९१७६६), ७१४८(5), ८१३३९७), ८७१३(5) (२) धन्य चरित्र, मु. ज्ञानसागर शिष्य, सं., गद्य, (स श्रेयस्त)(२) दशवैकालिकसूत्र-हिस्सा, आ. शय्यम्भवसूरि, प्रा., गा. १७, <प्रतहीन.> पद्य, मूपू.. (धम्मोमङ्गल) ६०९१-१७(+) (३) धन्य चरित्र-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., (स्वस्ति) ८६९१(७) (२) दशवैकालिकसूत्र-हिस्सा प्रथम अध्ययन, आ. शय्यम्भवसूरि, दानप्रकाश, गणि कनककुशल, सं., ८ प्रकाश, ग्रं.८३४, वि. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610