Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 463
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org: संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ३२१३-१ (+), ३७३७-१ (+), ४१९६ (+), ४३५२-१ (+), ४३५३-१ (+), ४८६२-१(+), ५२५०-१(+), ५२७३-१(+), ५५९३ (+), ५८४७-१ (+), ५९०२-११) ८४२३-१) १८०५१) ४१२९-१(4) ३०४३) ९२६८-१(+), १५८१-१(+$), २५५२-१ (+$), ५९११-२(+$), १(+$), ९०९९-१(+$), १७९९-२२(+), ५९३९-१(+$), ६५१८-१(+8), ६५०६-१ (+8), ८१३५-१ (+), ५४३०-१ (+), १६७७-१, २३३३-१, ३२१६, ३२२५-१, ३४९०-१, ५३९३-१, ६२५२-१, ६७५९, ७७७७-१, ७८७०-१, ८४११-१, ८४१५-१, ८६३२-१, ८९७६-१, ९१०३-१, ९१७०-१, १६९३-१, ७८९१-१, ६५३०-१, १८५८ (MS), १६१-११) १६४५-१ का ७०९८-११। ५४७३गा ६६१९-३१ १२६०(s) ७३७९-१(S) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ-स्वोपज्ञ सुबोधा टीका, आ. देवेन्द्रसूरि सं. १८८२ गद्य भूपू (दिनेशबद्ध) १८७५११ ९०५४-११०) ३०४३०१४३ " "" " (२) कर्मविपाक नव्य कर्मबन्ध-टिप्पण, मागु, गद्य, गुप्पु. (--) २३३३-१ " (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध' मागु, गद्य, मृपू.. (ज्ञान अतिस ) ५३९३-१, ६५३०-१ १८५८ ७०१८-१ (#S) (S) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ वालावबोध, मागू.. गद्य, मुपू.. (श्रीवर्द्ध) ३२२५-१, ५९१७-१ (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध, उपा. जयसोम, मागु.. गद्य, मूपू., (ऐंदवीयकलाश) ८४२३-१(+) (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध, मु. मतिचन्द्र, मागु, गद्य, भूपू. (श्रेयोमार) ९२६८-१११. ३४९०-१, ६७५९ " (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध, गणि शान्तिविजय, मागु., गद्य, गुप्त (वीरजिन प्र) ९१७०-१ (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (श्रीपार्श) " ७८७०-१ (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ-टबार्थ, मागु, गद्य, भूपू.. (श्रीवीरजिन) २४८०-१(1), २९६९-११) ३२१३-११) ४३५२चुका ४३५३-११) ४८६२-१११ ५२५०-१११ ५२७३-११ ५५९३का २५५२-१लिका ७३४४-१०) ६५१८-११०१ ३२१६. , (#S) ८४११-१, ८४१५-१, १८५८ (२) कर्मविपाक नव्य कर्मबन्ध-टवार्थ, उपा. जयसोग, मागु गद्य, ग्रुप (एहवा श्रीम) ८४२३-१ " (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ-टवार्थ, मु. धनविजय, मागु, वि. १७वी, गद्य, मृपू. (शारदां वरद) ३७३७-११ण १५८१-१० ५४३०-१(+$), ८६३२-१ (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ-टबार्थ, मु. राजसार-शिष्य, मागु., गद्य, भूपू (प्रणिपत्य) ४१९६१) " ४४३ (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ- यन्त्र, मु. सुमतिवर्द्धन, राज., गद्य, भूपू. (श्रीवीरजिन) ४३३८-५/- २५४०. ३४७३ ४४३६. (+#S), (+), १३२४. ६०१२१ (२) कर्मविपाक नव्य कर्मग्रन्थ- प्रश्नोत्तर, हिन्दी, गद्य, गुप्पु (शास्त्रानु) ४००० कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ, आ. देवेन्द्रसूरि प्रा. गा. ३४, पद्य, भूपू.. (तह थुणिमो) २४६९-२) २४८०-२१) २९६९-२), ३२१३२(+), ३२१९ (+), ४१२९-२(+), ४३५२-२ (+), ४३५३-३ (+), ४८६२ - २(+), ५२५०-२(+), ५२७३-२(+), ५८४७-२(+), ५९०२-२(+), ८४२३-२३१ ९२६८-३० ३०००-२२०, पपर-शनमा ५९११दुनिया ६५०६-२१०मा ७३४४-२१०१ ८१३५-२०४ ९०९९- २०४ ३(+$), (+), (+), १७९९-२३(+$), ५४३०-२(+), ५९३९-२+s), ६५१८-२(+S), ३९२५ १५८१-३०) ७८२७-१- १६०७-२, २३३३-२, F Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " For Private And Personal Use Only २८८७, ३२२५-२, ३३९६, ३४९०-२, ५०८७-१, ५३९३-२. ६२५२-२, ७७७७-२, ७८७०-२, ८४११-२, ८४१५-२, ८६३२-२, ८९७६-२, ९१०३-२, ९१७०-२, १६९३-२ ६५३०-२, ७८९१-२, १६१-२ १६४५-२० ६६१९-११ ७०९८-२ ०३७९-२मा ९१८६-१ (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ-स्वोपज्ञ सुखबोधा टीका, आ. देवेन्द्रसुरि, सं. गद्य भूपू (बन्धोदयोदी) ९०५४-२१० (२) कर्मस्तन नव्य कर्मग्रन्थ-अवचूरि, सं. गद्य, मुपू. (तथा वीरजिन) ९१८६-१ " " (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ-बालावबोध' मागु, गद्य, भूपू.. (तिम श्रीमह) ३२२५-२, ५०८७-१, ५३९३-२, ५९१७-२, ६५३०-२, ७०९८-३) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध, मागु., गद्य, भूपू., (त्रिजगत्) ३३९६ (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध, मु. जयसोम, मागु., गद्य, मूपू., ( ॐनमः स्त) ८४२३-२(+) (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ- बालावबोध, मु. मतिचन्द्र, मागु., गद्य, भूपू (वीरं बोधित) ९२६८-३१) ३४९०-२ (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ बालानबोध, गणि शान्तिविजय, मागु.. गद्य, मुपू., (सामान्य) ९१७०-२ , " (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ-टबार्थी मागु, गद्य, ग्रुपु (बन्ध से २४८०-२११. २९६९-२११. ३२१३-२१ ३२१९ ४३५२-२०० ४३५३-३(+), ४८६२-२(+), ५२५०-२(+), ५२७३-२(+), ६५१८रामा ३९२५ ७३४४-२० २८८७, ८४११-२, ८४१५-२ (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ-टबार्थ, उपा. जयसोम, मागु, गद्य, मृपू.. (तेम स्तवीस) ८४२३-२०१ " # . (२) कर्मस्तव नव्य कर्मग्रन्थ-टबार्थ, मु. धनविजय, मागु., गद्य,

Loading...

Page Navigation
1 ... 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610