Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
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२८४५-२२१
कवलचन्द्रायणव्रत कथा, सं., श्लोक ८७, पद्य, दि., (अथ नत्वा) ६००२-२७०
कवलचन्द्रायणव्रत कथा, सं., श्लोक ४५, पद्य, दि., (महावीरं जि) ६००२-तण
कविशिक्षा श्रा अरिसिंह, सं. ४ प्रतान, ईस. १३वी, पद्य, मृपू.. (वाचं नत्वा) ७२५९ ९ongth)
(२) कविशिक्षा-कविकल्पलता वृत्ति, देवेश्वर, सं., ४ स्तबक, ईस. १३५७, प+ग, () ७४७८
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(२) कविशिक्षा- काव्यकल्पलतावृत्ति, यति अमरचन्द्र, सं...
ग्रं. ३३५७, ईस. १३वी, गद्य, मूपू., (विमृश्य वा) ७२५९ (+३) (३) कविशिक्षा-काव्यकल्पलतावृत्ति पर स्वोपज्ञ परिमल वृत्ति,
यति अमरचन्द्र, सं., वि. १३वी, गद्य, (श्रीशारदां) - <प्रतहीन > (४) कविशिक्षा-मकरन्दवृत्ति, गणि शुभविजय, सं. ६ प्रसर, वि. १६६५, गद्य, मूपू., ( श्रीमद्घोष ) ९२७० (+)
कष्टज्ञान विचार, सं., मागु., प+ग, जै., (ॐ सच्चं) ४१७०-२ (+) काकोदरेश्वर स्तुति, सं., श्लोक ८, पद्य, मूपू., ( इहाष्टधा ) ३११५-४
कायस्थिति प्रकरण, आ. कुलमण्डनसुरि, प्रा., गा. २४, पद्य, भूपू .. (जह तुहदंसण) ४०५१) ४१०३) ४५६८-११ ५१०५. ५०६८-१
(२) कायस्थिति प्रकरण-टबार्थ *, मागु., गद्य, मूपू., (जिम ताहरे) ४०७१) ४१०३०) ४५६८-१११ ५१०५. ५०६८-१
कार्तिकपूनम व्याख्यान, प्रा., मागु., गद्य, मूपू., (सिद्धो विज)
६०७०-१
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कालज्ञान, शम्भूनाथ, सं., श्लोक २५५, पद्य, (कालज्ञानं) ५५२६q(#$)
कालविचार शतक, आ. मुणिचन्दसूरि, प्रा., गा. १००, पद्य, मृपू., ( नमिय जिण) ६०४४-५ (+)
कालसप्ततिका, आ. धर्मघोषसुरि प्रा. गा. ७४, पद्य, मृपू.. (देविन्दनयं) ४१५७/९ ७६४०८७८४३० ५८३५. ७४५३, ३०६१, ५१८३ ($)
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(२) कालसप्ततिका - बालावबोध, उपा. धनविजय, मागु., ग्रं. ३५०, गद्य, मृपू. ( ध्यात्वा) ७४५३
(२) कालसप्ततिका- टवार्थ, मागु, गद्य, ग्रुप्पु. ( इन्द्र महा) ४१५७(+), ७७७६ (+$), ४०८७, ५८३५, ३०६१, ५१८३(क) कालिकाचार्य कथा, सं., श्लोक ६५, पद्य, मृपू.. (श्रीवीरवाक)
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कालिकाचार्य कथा, मु. महेश्वरसूरि शिष्य, सं., श्लोक ५२, वि. १३वी, पद्य, मूपू., (पञ्चम्यां) ६८४-२ (+)
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२
कालिकाचार्य कथा, आ. विनयचन्द्रसूरि, सं., गा. ८८, वि. १४वी पद्य, (उत्पत्ति) - < प्रतहीन >
(२) कालिकाचार्य कथा - बालावबोध, मागु, गद्य, मृपू.. श्रीमहावीर) ५६३६
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कालिकाचार्य कथा, उपा. समयसुन्दर गणि, सं., ग्रं.४४१, वि. १६६६. प+ग, भूपू (प्रणम्य) १८३०, १२४५-११ ६१८७-११) ४२२१(+), ३३२६, ५७८७ कालिकाचार्यसमय विचार, सं., गद्य, मृपू., (श्रीवीरनिर) २५६४
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काव्यचमत्कृति श्लोक सं., श्लोक ५, पद्य, (बाश्वारेड) २३४२-३३ कुमारपाल प्रबन्ध, उपा. जिनमण्डन, सं., वि. १४९२, प+ग, मूपू., ( ॐ नमः श्र) ३२५
कुमारसम्भव, कालिदास, सं., सर्ग १७, पद्य, (अस्त्युत्त) ५४५(+) (२) कुमारसम्भव-सुबोधिका व्याख्या, गणि श्रीविजय, सं., सर्ग ७, गद्य, मृपू., (श्रीशङ्खश) ५४५ (+)
कुम्मापुत्त चरिअं, मु. माणिक्यविमल, प्रा., गा. १९८, ग्रं. १०००, पद्य, मृपू. (नमिऊण वद्ध) ४९९५ १ ५६०५
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९२७, ५९५९, ८६८१
(२) कुम्मापुत्त चरिअंटबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., ( वर्द्धमान) ४९९५९ ७८५११० ९२७, ८६८१
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कुर्मापुत्र चरित्र, सं., पद्य, मूपू., (श्रेयः श्र) ४०४७ कुसुमाञ्जलि, प्रा., सं., गा. ९, पद्य, मूप्पू., (मुक्तालङ्क) २७६३-१ कृपारस कोश, उपा. शान्तिचन्द्र, सं., श्लोक १२८, पद्य, मूपू., (येनादर्शि) ४९६१
कोकिलापञ्चमीव्रत कथा, सं., श्लोक ४१, पद्य, दि., (प्रणम्य वी ) ६००२-५८
कोकिलापञ्चमीव्रत विधान, सं., गद्य, दि.. ( नमः श्रीवर) ६००२30+3
कोटीशिला स्तवन, प्रा., गा. १०, पद्य, मूपू., (सिद्धिसुहस ) ६०४४-३
क्षमा कुलक, प्रा., गा. २५, ग्रं. ७२, पद्य, मूपू., (नमिऊण पुव ) ३३२१
(२) क्षमा कुलक-टवार्थ, मागु., गद्य, सूप्पू (नमीनइ पूर) ३३२१ क्षमापना श्लोकसङ्ग्रह प्रा. गा. २. पद्य मूपू. (संसारम्मि)
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३५४५-रान
(२) क्षमापना श्लोकसङ्ग्रह-टवार्थ, मागु, गद्य, मुपु. ( संसारमा) 2484-21
क्षुद्रोपद्रवनिवारण विधि, सं. गद्य, मृपू. ( नतु पाक्षि) ६०६२-१७) क्षुद्रोपद्रवनिवारण विधि, सं. मागु, गद्य, मुपू.. (अमृत रीजी) ६०६६-६
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