Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 2
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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- ७३२३०. २९५३, १४१०४. ६८४१६
४३८
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.२ ४१८६(+), ४१९०(+), ४३८२(१), ४४६५), ५२७६(+), ८६५०+) | टिप्पण, सं., गद्य, मूपू.. (ऊ र्ध्वा ) ३४७२-७(+) ८८१४(+), ९०३२(+), ९३०७+), २३७७(+), २४४७(+), ३१९८(+), (२) उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधा लघुटीका, आ. नेमिचन्द्रसूरि, सं., ४५९४+), ७५२८(+), १४१(+), ४०८६(+), ४१७८(+), ४३८४(+), ग्रं.१२०००, वि. ११२९, गद्य, मूपू., (प्रणम्य वि) ७०९(+), ४६७३(+), ७३(+), ७०१५), १६८१९+), १३४१), ७०४५), १५९४- ७३(+). ७१० २),२८६७+), ४०९१(+), ४१६१(+), ५२१८(+), १७१४(+), २०५- | (२) उत्तराध्ययनसूत्र-सुगमार्थ टीका, वा. अभयकुशल, सं., १(६), ६९९(+६), १४६१(६), ४०८१(45), ४१९१(45), ५२८४(+६), ग्रं.९२४३, गद्य, मूपू., (प्रणम्य पर) ९३०७+) ६१३३(45), ६९११(45), ७१३०(+5, ७१४४(45), ७२०६६+६), (२) उत्तराध्ययनसूत्र-सूत्रार्थदीपिका टीका, गणि लक्ष्मीवल्लभ, ७३००(45), ७३३३(45), ९०४+६), ६९५२(45), ८७२४(45),
सं., ग्रं.१५३००, वि. १८पू, गद्य, मूपू., (अर्हन्तो ) ८६५०५), १६४८(45), ७६१८(45), ७०६(45), १२९९(45), १३१७+5), १३६, ३६५१(#$), ५७८४(६) १३७, १३९, २१९८, ३२९३, ५३३८, ५४२०, ५४९२, ६४८८, (२) उत्तराध्ययनसूत्र-अवचूरि, सं., गद्य, जै., (सञ्जोगा०) ७३३९, ७६२६, ९०७४, ९२०२, ९२५३, ६९७१, ९०४७, ७१०, १०२१+), १७१४(4) ९०७९, १६४२, ३८५८,४२८३, ४६७६-१,५९०६-३, ६११७, | (२) उत्तराध्ययनसूत्र-अर्थ', मागु., गद्य, मूपू.. (भिक्षु महा) ७६८९, २७१६, ४०८०-१०, २०७२(45), ३६५१६#5), १७८१-३(5), ५२१८) १६०७६), २०७१(६), ३२८२(5), ३४१६६६), ३६४३(७), ४४८१(६), (२) उत्तराध्ययनसूत्र-बालावबोध*, मागु., गद्य, जै., (-) ४९३१(७), ५५१५६), ५५३५६), ५७८४(७), ६२९३७), ७०५६(६),
८७२४+६) ७२६३(७), ७३६२(६). ६९८(७), ६९४८(६), ७१११(६), ७११६(s), (२) उत्तराध्ययनसूत्र-बालावबोध, मु. सोमदेव-शिष्य, सं., गद्य, ७१२६(5), २६३९(5), २५१७(5), ६८२५(६), १४१०६६), ६८४१(६), मूपू., (प्रणम्य) २४४७(+)
(२) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ+कथा*, मागु., गद्य, जै., (उत्तराध्यय) (२) उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति , आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गा. ६०७, १६८१(+), २८६७), ६१३३(45), ५५३५(७), २५१७(5)
पद्य, मूपू., (नामं ठवणाद) १७१८(+), ४६७३(+), २०५-२(48), (२) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ, मागु., ग्रं.११७१५उभ, गद्य, मूपू., ६९९(45)
(प्रणम्य) ४०८०-१(4) (३) उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति का टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू.. (-) | (२) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (वर्द्धमानज) २०५-२(45)
४०८६६) (२) उत्तराध्ययनसूत्र-अधिरोहिणी वृत्ति, मु. भावविजय, सं., (२) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ , मागु., गद्य, मूपू., (वर्द्धमानज)
ग्रं.१४२५५, वि. १६८९, गद्य, मूपू.. (ॐ नमः सिद) १३७, २३७७+), ६९७१ १६०७६), २६३९(5)
(२) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ + कथा सङ्ग्रह , मागु., गद्य, मूपू., (२) उत्तराध्ययनसूत्र-टीका*, सं., गद्य, मूपू., (-) ४६७३(+), (श्रीमहावीर) १३४) ७०६+६)
(२) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (संयोग बे) (२) उत्तराध्ययनसूत्र-दीपिका टीका, आ. जयकीर्तिसूरि, सं., ४४६५), ९०३२(+), ३१९८(+), ७५२८(+), ४१६१(+), ७९), ग्रं.८६७०, वि. १५वी, गद्य, मूपू., (श्रीउत्तरा) ३४१६६७)
२०५-१(45), ४०८१(+5), ७१३०(+5), ७१४४+६), ७२०६(+5), (२) उत्तराध्ययनसूत्र-दीपिका टीका, मु. विनयहंस, सं.,
७३००(45), ७३३३(45), ७६१८+5), १२९९(45), ४०९१(+), १३९, ___ ग्रं.६०००उभय, वि. १५७२, गद्य, मूपू., (उत्तराध्यय) ३६४३६७) । ३२९३, ४२८३, ३२८२(७), ७३६२(१), ७३२३(5) (२) उत्तराध्ययनसूत्र-लेशार्थदीपिका टीका, सं., गद्य, मूपू., (भिक्षो । (२) उत्तराध्ययनसूत्र-टबार्थ+कथा सङ्ग्रह, मु. पार्श्वचन्द्रसूरिविन) ७०४+), ९२५३, ९०७९, ६२९३(5) ।
शिष्य, मागु., ग्रं.९०००उभय, गद्य, मूपू., (पूर्वसंजोग) ७४(+), (३) उत्तराध्ययनसूत्र-लेशार्थदीपिका टीका का बालावबोध, मागु., १३८(+), ७१४+), ८६६६), ८७७),७०१(+), ५२८४(45), गद्य, मूपू., (भिक्षु महा) ९०७९, ९२५३, ६२९३(३)
९०४(+5), ६९५२(45), १६४८(45), ९०४७, ५५१५७), ६९४८(5) (२) उत्तराध्ययनसूत्र-शिष्यहिता बृहद्वृत्ति#, आ. शान्तिसूरि, सं., (२) उत्तराध्ययनसूत्र-हिस्सा, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., , मूपू., (-) ग्रं.१६०००, गद्य, मूपू., (शिवदाः सन) १४१(+). ६९९६),
၃၃၀၄(န်) ၊
(३) उत्तराध्ययनसूत्र-हिस्सा का कथासङ्ग्रह, सं.,मागु., प+ग, (३) उत्तराध्ययनसूत्र-शिष्यहिता बृहद्धृत्ति का विषमपदपर्याय मूपू., (-) ९२०१६)
(२) उत्तराध्ययन
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