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ठण्डा भी तो कर देती है।
जो लोग अपने जीवन में क्रोध से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें प्रतिदिन मौन रखने का भी अभ्यास करना चाहिए। मौन जहाँ हमारी वाणी को विश्राम देता है वहीं विपरीत वातावरण में हमें तटस्थ रहने का अवसर प्रदान करता है। किसी भी व्यक्ति के लिए चार घंटे तक बोलना सरल होता है पर चार घंटा चुप रहना मुश्किल। विपरीत वातावरण में हमारा मौन हमारे लिए बचाव का काम कर सकता है। ऐसे अवसर पर किसी के चीखने-चिल्लाने पर भी हमारा मौन हमें आत्म विवेक का बोध देता रहता है। पेट्रोल नहीं : पानी बनें
ये बिन्दु हुए स्वयं के क्रोध से बचने के लिए। कई बार दिक्कत यह खड़ी हो जाती है कि अगर दूसरा हम पर क्रोध कर रहा हो या हमारे साथ गलत व्यवहार कर रहा हो उस समय क्या किया जाय? मैं पहला संकेत देना चाहूँगा कि हर क्रोध का जवाब मुस्कान से दो। संभव है सामने वाला व्यक्ति आग बबुला बन कर आया है। अब यह आप पर निर्भर है कि आप किस रूप में हैं । उदाहरण के तौर पर हम समझ सकते हैं कि हमारे दो हाथों में दो पात्र हैं । एक पात्र में पानी है और एक में पेट्रोल। सामने वाला व्यक्ति दियासलाई जलाकर आपके सामने लाया है अगर आपने पानी का पात्र आगे बढ़ा दिया तो दियासलाई उसमें गिर कर बुझ जाएगी, पानी-पानी हो जायेगी
और अगर भूल से तुमने पेट्रोल का पात्र आगे बढ़ा दिया तो वह दियासलाई भयंकर आग का रूप बन जाएगी। यह हम पर निर्भर करता है कि हम पानी हैं या पेट्रोल । डीजल हैं या दूध । क्रोध का ज़वाब दें मुस्कान से
कोई हमारे प्रति गलत व्यवहार करे, हमारी उपेक्षा भी करे तो भी हम उसे मजाक में लेने की कोशिश करें। कहीं ऐसा न हो कि हमारे स्वभाव का स्वीच किसी दूसरे के हाथ में हो वह हमें जब चाहे तब शांत भी कर दे और क्रोधित भी कर दे।
एक प्यारे संत हुए हैं- भीखण जी। कहते हैं एक बार वे कुछ भक्तों के बीच बैठ कर प्रवचन दे रहे थे। इसी दौरान एक युवक आया और संत के सिर पर ठोले मारने लगा। भक्तों को यह बर्दाश्त न हुआ। उन्होंने युवक को पकड़ लिया और उसकी पिटाई करने लगे। संत ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा, 'इसे मारो मत शायद यह मुझे अपना गुरु बनाने आया है।'
लोगों ने कहा, 'गुरु बनाने का यह कौनसा तरीका है। चोटी खिंचवा कर तो चेले बनाए जाते हैं पर यह ठोला मार कर गुरु बनाने का कौनसा तरीका।' संत ने मुस्कराते हुए कहा, 'निश्चित ही यह व्यक्ति मुझे गुरु बनाने आया होगा। अरे कोई व्यक्ति बाजार में दो रुपए का घड़ा भी खरीदता है तो भी उसे चारों तरफ से ठोक बजा कर देखता है कि घड़े में कोई छेद या दरार तो नहीं है। जब घड़े को भी ठोक बजा कर खरीदा जाता है तो शायद यह मुझे ठोक बजा कर देखता हो कि मैं गुरु बनाने लायक हूँ कि नहीं।' इसे कहते हैं क्रोध का जवाब मुस्कान से।
जहाँ तक संभव हो हर किसी व्यक्ति से प्रेम से बोलें, प्रेम से मिलें । आँख कभी लाल मत करो और जीभ
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