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ये पाँच बातें बुजुर्गों के बुढ़ापे की सार्थकता के लिए पांच रत्न की पोटली के समान हैं। टिप्स स्वस्थ बुढ़ापे के
स्वस्थ बुढ़ापे के लिए ज़रूरी है कि हम श्वास सही तरीके से लें। प्रायः बुढ़ापे में थोड़ा-सा भी रुग्ण होने पर व्यक्ति की श्वास असंतुलित हो जाती है। स्वस्थ व्यक्ति एक मिनट में औसतन 16श्वास लेता है यानि प्रतिदिन चौबीस घंटे में 23040 श्वास ली जाती है। श्वास वह है जो हमारे प्राण की आधार तो है ही, साथ ही हम सर्वाधिक अपने शरीर में इसी का उपयोग करते हैं।
जीवन को खेल समझें। जीवन हंसता-खिलता एक खिलौना है। इस खिलौने को उतना ही चलना है जितनी इसमें चाबी भरी गई है। प्रायः लोग जवानी को उमंग से जी लेते हैं पर बुढ़ापे में निराश हताश हो जाते हैं। बुढ़ापा उनके लिए भारभूत हो जाता है। शांतिपूर्ण बुढ़ापे के लिए मुक्त रहें। मौत प्रत्येक व्यक्ति को जिंदगी में एक बार ही मारती है और समय से पहले मारना मौत के हाथ में नहीं होता। पर अन्तर मन में पलने वाला मृत्यु का भय हमें बार-बार मारता है, समय से पहले मारता है।
अच्छा होगा आप तनाव और चिंता से भी बचकर रहें। चिंता बुढ़ापे का दोष है इसका त्याग करें। हर दिन की शरुआत प्रसन्नता से करें। परिस्थितियों के बदलने के बावजद अपने मन की स्थिति न बदलें। घरेल व्यवस्थाओं में ज्यादा हस्तक्षेप न करें। अगर आप निर्लिप्त भाव से घर में रहेंगे तो सौ तरह के मानसिक क्लेशों से बचे रहेंगे। बुढ़ापे को विषाद की बजाय प्रसाद मानकर इसका शांति और मुक्ति के लिए उपयोग करें। बुढ़ापा यानी संत-जीवन-मुक्ति का जीवन, शांति का जीवन । बस, इतना याद रखिए और बुढ़ापे को सार्थक कीजिए। बुढ़ापे की धन्यता के लिए कुछ बातें निवेदन की हैं, इन्हें ध्यान में रखिए और आनंदित बुढ़ापे के स्वामी बनिये।
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