Book Title: Jine ki Kala
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 166
________________ न्यायालय में न्यायाधीश ने वाद-प्रतिवाद सुना और कहा 'आप दोनों ही भले नज़र आते हो फिर तलाक क्यों ले रहे हो ? कारण बताओ तो मैं कोई समाधान कर दूं।' पति ने कहा 'मेरी पत्नी चाहती है कि अपने बेटे को एम.बी.ए कराये और मैं उसे डॉक्टर बनाना चाहता हूं।' न्यायाधीश ने कहा 'इसमें लड़नेझगड़ने की या तलाक लेने की क्या बात है । इसका समाधान मैं कर देता हूं। तुम्हारा लड़का कहाँ है उसे बुलाओ उसी से पूछ लेते हैं, वह क्या बनना चाहता है।' पति-पत्नी एक-दूसरे का मुँह देखने लगे कि लड़का कहाँ है। न्यायाधीश ने पूछा 'क्या बात है लड़का कहीं बाहर गया है क्या ?' जवाब मिला ' बाहर नहीं गया है लड़का तो अभी जन्मपत्री में है । ' व्यर्थ की कल्पनाएँ। याद रखें, जो कल देता है वह कल की व्यवस्थाएँ भी देता है। बच्चे का जन्म बाद होता है, माँ का आंचल दूध से पहले भर जाता है, यह है प्रकृति की व्यवस्था । यह प्राणीमात्र के लिए प्रकृति की व्यवस्था है कि जो चोंच देता है वह चुग्गे की व्यवस्था भी ज़रूर करता है । परिजन अतिथि, अतिथि देव दूसरी बात जो कहना चाहता हूँ वह है- अपने व्यवहार में शालीनता रखें। जब भी किसी के साथ पेश आएँ, किसी के सामने अपनी बात रखें तो शालीनता बनाए रखें। पत्नी को भी कभी 'तुम' न कहें। मैंने कई घरों में एक विचित्र बात देखी है लोग अपनी माँ को भी 'तुम' कहते हैं और ऊपर से यह भी कि इसमें प्यार और अपनापन होता है। यह कोई प्रेम नहीं है, औरों को सम्मान देना सीखें। अगर आप 'तुम' कहकर बात करोगे तो आपकी संतान भी आपको 'तुम' ही कहेगी । औरों को 'आप' कहकर 'आप' कहलाया जाता है और 'तुम' कहकर 'तुम' कहलाया जाता है। अगर आपका नौकर भी है तो यह नहीं कि हमेशा उससे झगड़ते रहें, उसे डांटते रहें, अपशब्द बोलते रहें। नौकरी उसकी मज़बूरी है, वरना वह भी आपकी तरह सेठ हो गया होता। नौकर के साथ भी सम्मानपूर्ण भाषा का उपयोग करें। एक महिला मुझसे कह रही थी' क्या बताऊँ महाराज जी मेरे पति बहुत झगड़ालू हैं, गुस्सैल हैं, ये हैं, वो हैं पर मैं किसी से नहीं कहती। ' मैंने कहा 'तब मुझे क्यों कह रही हो ।' व्यक्ति शालीनता नहीं रख पाता कि कहाँ कौन-सी बात कही जाए। पूर्ण कोई भी नहीं है, सभी में कुछ-न-कुछ कमियाँ ज़रूर होती है। पति में कमियाँ न होतीं तो वह तुमसे शादी ही क्यों करता ? मेरे साथ ही न आ जाता ? एक-दूसरे की कमियाँ उघाड़ने की बजाय शालीनता से पेश आएँ। याद रखें वह आपकी अर्द्धांगिनी है नौकरानी नहीं। माना कि आप उसके पति हैं, संरक्षक हैं, फिर भी पत्नी इज्ज़त की हक़दार है। अगर आप इज्जत पाना चाहते हैं तो इज्ज़त देना सीखें । मैं तो कहूँगा अपने बच्चों को भी इज्ज़त दो । अपने पति को भी इज्ज़त दो। पति की तारीफ़ करने की आदत डालें। मैंने अनेक लोगों पर प्रयोग करके अनुभव किया है कि अगर मैं किसी पुरुष से कहूँ कि 'आपकी पत्नी बहुत सुशील है, अच्छी कुलीन है, शांत स्वभाव की है।' तो वह कहेगा 'सब आपकी कृपा है, बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद है, आप सही कहते हैं महाराज।' और अगर यही बात मैं उसकी पत्नी को कहूँ तो वह तुरंत कहेगी, ‘रहने दीजिए महाराज, मैं जानती हूँ हकीकत क्या है।' अगर मैं कहूँ कि आपके पति देव हैं तो वह कहेगी Jain Education International 165 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org.

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