Book Title: Jine ki Kala
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 137
________________ व्यवहार को प्रभावी बनाने के गुर चेहरे का रंग देना कुदरत का काम है, पर जीवन को सही ढंग देना आपका। हर व्यक्ति के पास अपने व्यवहार का आईना होता है। उस आईने में व्यक्ति अपने स्वभाव, व्यक्तित्व, चरित्र और शालीनता का परिचय प्राप्त करता है । हमारा व्यवहार ही हमारे व्यक्तित्व की पहचान है। यही चरित्र का प्रतीक, कुलीनता का परिचायक और निजी स्वभाव का प्रत्यक्ष स्वरूप दिखलाता है। दुनिया में कई लोगों का व्यवहार इतना शालीन और मधुर होता है कि उनके पास बैठने और उनके साथ जीने से स्वयं का भी विकास और निर्माण होता है। दूसरी ओर कई लोगों का व्यवहार इतने निम्न स्तर का होता है कि उनके साथ जीने से हमारा व्यवहार भी निकृष्ट और कपटपूर्ण हो जाता है। हम जीवन की ऊँचाइयों को छूने से वंचित रह जाते हैं । व्यवहार एक आईना व्यक्ति अपने व्यवहार के आईने में अपने अंतरंग और बाह्य दोनों जीवन को प्रकट कर देता है । महान लोग शत्रु के साथ भी ऐसा मधुर व्यवहार करते हैं कि वे शालीनता और महानता के प्रतिमान बन जाते हैं और निम्न स्तरीय लोग अपने मित्र के साथ भी क्रूर और अनपेक्षित व्यवहार करते हैं । जब तक व्यक्ति की सोच, विचार और व्यवहार में एकरूपता स्थापित नहीं होती, तब तक उसका व्यवहार बाहरी तौर पर खुशमिज़ाज और भीतरी रूप से धूर्त हो सकता है, लेकिन उसके जीवन का श्रेष्ठ चरित्र नहीं हो सकता । व्यवहार व्यक्ति के विचार से, विचार मानसिक सोच से और मानसिक सोच आत्मिक चेतना से बनती है । जैसी व्यक्ति की सोच होती है, वैसी विचारधारा बनती है, जैसी विचारधारा होती है वैसी बुद्धि बनती है और विचार से ही आचार और व्यवहार बनते हैं । Jain Education International अपनी पहचान आप पहले चरण में आपकी वाणी की शालीनता, शब्दों का चयन और जीने का तौर-तरीक़ा सामने वाले व्यक्ति प्रभावित करता है। आप किसी के पास बैठे हैं, बातचीत कर रहे हैं, तो इसमें ख़ास यह है कि आप कैसे बैठे 136 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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