________________
पीठ पीछे भी तारीफ़
व्यवहार के आईने को साफ-सुथरा रखने के लिए अगली बात है कि किसी के बारे में पीठ पीछे टिप्पणी न करें। यह आपके व्यवहार का दोष है। जब सामने वाले व्यक्ति को ख़बर लगती है तो वह मानसिक रूप से आपसे टूटता है। अगर आपको कहना है तो उसी के सामने सम्मानपूर्वक अपनी बात कहें, क्योंकि हो सकता है कि दूसरे के सामने आपने उसकी बात की, उसने किसी दूसरे से कही और उसने उसी व्यक्ति को जाकर कह दी, जिसके संबंध में आपने कहा था। चार मुँह से निकली बात मिर्चमसाले के साथ संबंधित व्यक्ति तक पहुँचेगी तो आपकी छवि का क्या हश्र होगा। आपके संबंधों में दरार
आ सकती है और आपका व्यवहार कमज़ोर हो सकता है। निभाएँ प्रतिज्ञा और वचन को
प्रभावी शख्सियत के लिए जरूरी है कि अपने द्वारा किये गए वायदों को ज़रूर पूरा करें। अगर आप वचन देते हैं तो उसे पूर्ण करने की जिम्मेदारी निभाएँ । जीवन में दिए गए वचन पूर्ण करने के लिए हैं। आपकी बुद्धिमत्ता इसी में है कि वचन देने के पहले हजार दफा सोच लो। अपने दिए गए वचन को मरकर भी निभाने की कोशिश करें। ली गई प्रतिज्ञा और दिये गये वचन हर हालत में निभाए जाने चाहिए। __ अपनी ओर से अगली बात कहना चाहता हूँ : आप अहसानमंद रहें पर किसी पर अहसान जतलाने की कोशिश न करें। जीवन में किसी से पाकर कभी कृतघ्न न बनें और किसी का कुछ करके उससे कृतज्ञता की अपेक्षा भी न करें । नेकी कर, दरिया में डाल - किसी का कुछ करो, तो इसी भावना से। बेवक्त में काम आएँ
___ जीवन का अगला क़दम है कि भरोसेमंद बनें और वफ़ादारी निभाने की कोशिश करें। जब जिसके साथ कोई बात कही गई, कोई करार किया तो विपत्ति से विपत्ति की वेला में भी प्राणप्रण से उसके मददगार बनिये और उसके काम आने की कोशिश कीजिए। यह होगी आपकी वफ़ादारी और भरोसे का इम्तहान।
जीवन में कभी किसी से द्वेष न रखें, क्षमा करें और कड़वी बातों को भूल जाएँ। आप राग को नहीं छोड़ सकते, कोई बात नहीं, पर किसी के प्रति द्वेष न पालें। अपनी ओर से क्षमा करें और ग़लत वातावरण, अशुभ व्यवहार को जीवन में भूलने की कोशिश करें। सच्चाई, ईमानदारी, निष्कपट व्यवहार के साथ जीवन जीएँ।
प्रभावी व्यवहार का अंतिम सूत्र है कि अपने जीवन में सदा विनम्र बने रहें । जो जितना महान होता है, वह उतना ही विनम्र होता है। कैरी जब तक कच्ची होती है तब तक अकड़कर रहती है लेकिन जैसे ही वह रस से भरती है, माधुर्य से भरती है, कैरी चुपके-चुपके आम बन जाती है और धीरे से झुक जाती है।
ये जीवन की गीता के अध्याय हैं, सूत्र हैं, जो मैंने आपके सम्मुख रखे हैं। आप अपने जीवन में इन्हें उतारेंगे तो निश्चय ही आप बन सकेंगे प्रभावी शख्सियत के मालिक।
148 For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org