Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 5
________________ (३) इस छोटी सी पुस्तक में आपने संग्रह कर जिस उत्तमता से समझाया है । वह यथार्थ में श्राप से ही योग्य लेखकों का हिस्सा हो सका है वरना इनमें से एक २ विषय को पृथक् २ ग्रन्थों में भी बड़ी मुशकिल से समझाया जा सका। मैं श्रीमान् सूरजमलजी गुलाबचन्दजी छलाणी जैतारण (मारवाड़) निवासी को भी धन्यवाद देता हूं कि जिन्होंने इसके प्रकाशन का कुल व्यय प्रदान किया है । हमें आशा है कि आप इसही प्रकार योग्य सहायता देते रहेंगे और अन्य महानुभाव भी आपका अनुकरण करेंगे। विनीतकुँवर मोतीलाल रांका, ऑनरेरी प्रवन्धका जैन पुस्तक प्रकाशक कार्यालय, ब्यावर,

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