Book Title: Jain Shikshan Pathmala Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar View full book textPage 4
________________ (२) · म इसका अनुवाद कराकर ) रख रहे हैं पूर्ण आशा है कि वह इसे भी अपना कर उत्साहित करेंगे कि जिस से हम आगे भी इसी प्रकार सेवा कर सकें । समस्त जैन पाठशालाओं के अधिकारियों से खास तौर पर निवेदन किया जाता है कि as विषयों की शिक्षा देने वाली इस पुस्तक को अपने २ आधीन सर्व पाठशालाओं में अवश्य प्रवेश करें, किं जिसके पठन से विद्यार्थियों के कोमल हृदय में अच्छे संस्कार पड़ेंगे और उनका जीवन एक आदर्श जीवन हो जावेगा । मनुष्य मात्र को इस पुस्तक के श्रा घोपांत पढने के लिये ही नहीं मगर इस में की हरेक कलम को स्वयं व्यवहार कर और आश्रित जिज्ञासुओं से व्यवहार में लाने के लिये मैं ग्रह पूर्वक विनती करता हूं । अन्त में हम उक्त स्वामीजी महाराज का उपकार मानते हैं क्योंकि जिन विषयों कोPage Navigation
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