Book Title: Jain Sahitya Suchipatra
Author(s): Ratnatrayvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

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Page 12
________________ RomsmonanemonomersS O85) नं. नाम - भा. कि.नं. नाम भा. कि. 43. जीवत तीर्थ गु. - 45. गूढामृतलीला सं. 50 44. केकारव/ गु. 5046. जिनराज स्तोत्र सं. 50 श्री रंजनविजयजी जैन पुस्तकालय-मालवाड़ा Clo. राजेन्द्रभाई एन. शाह / पारस - गंगा ज्ञान मंदिर B-103/10 केदार टावर, राजस्थान होस्पीटल के सामने, शाहीबाग, अमदावाद-4 फोन नं. : (079) - 22860247 (Mob.) 9426539076 लेखक : आ.वि. श्री रत्नाकर सूरीश्वरजी म.सा. नाम भा. कि. नं. नाम भा. कि. 1. पाप की मजा नरक की सजा हि. . 18. पद्मनाभ जैन तीर्थ उदयपुर हि. 10 . गु. 200 19. विविध विषय विचारमाला भा.1 गु. 80 E. 0. विविध विषय विचारमाला भा.2. गु. 45 2. रत्नशेखर सूरि दिनांक दर्शिका हि. - 21. विविध विषय विचारमाला भा.3 गु. 45 3. रामसीन प्रतिष्ठा स्मृति ग्रंथ हि.. - 22. विविध विषय विचारमाला भा.4 गु. 45 4. उपदेश पद भावानुवाद गु..20023. विविध विषय विचारमाला भा.5 गु. 45 5. विविध तीर्थ कल्प सचित्र : गु. 200 24. विविध विषय विचारमाला भा.6 गु. 80 6. मालवाडा पाठशाला समारोह गु. - 5. विविध विषय विचारमाला भा.7 गु. 60 7. रत्नसंचय भाग-1 गु. 3026. विविध विषय विचारमाला भा.8 गु. 150 8. रत्नसंचय भाग-2 मु. 30 27. विविध विषय विचारमाला भा.9 गु. 9. रत्नसंचय भाग-3 . गु. 30 28. नित्य नियमावली 10. रत्नसंचय भाग-4 गु. 30 29. चिंतामणी देववंदनमाला 11. रत्नसंचय भाग-1 30 50. मनमंदिर आगल दीवो. 12. रत्नसंचय भाग-2 हि. 30 b1. दरवाजा तेरा खोल खोले रे । 13. रत्नसंचय भाग-3 . हि. 30 52. सिद्धहेम मध्यमवृत्ति भा.1,2,3 सं. 500 14. रत्नसंचय भाग-4 हि. 30 33. सोम सौभाग्य काव्यम् सं. 100 15. तीर्थंकर वंदना हि. 15 34. प्रमाण मीमांसा सं. 165 16. सागरमां मीठी वीरडी गु. 30 55. आवश्यक नियुक्ति दीपीका गु. 200 17. संवादमंजूषा (नाटक) हि. 20 56. मूलशुद्धि प्रकरणम् भा.1 हि. 225 7 Demonsornemoonnoncocooto )

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