Book Title: Jain Sahitya Suchipatra
Author(s): Ratnatrayvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

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Page 71
________________ - भा. कि CameroneamroKarnatalog) B00 पंच प्रस्थान पुण्य स्मृति प्रकाशन ___Clo, रमेश आर संघवी 301, स्वयं सिध्ध एपार्टमेन्ट, देवदीप सोसायटी, सरगम शोपींग सेन्टर सामे, पार्लेपोईन्ट सुरत-395007, . मो. : 9376770777 लेखक : आ.वि. श्री पूर्णचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. नं. नाम भा. कि.नं. नाम 1. कलिकाल सर्वज्ञ अने कुमारपाल गु. 10/24. फूल नानु शूल मोटी 2. अंधारे अजवालां गु. 10/25. कल्याणनो कुंभ .. 3. झेर तो पीधा जाणी जाणी गु. 10/26. वादली काली कोर रूपाली । 4. दरियामां एक वीरडी मीठी गु. 10/27. कल्याण कंकोत्री 5. मृगजल नी माया । गु. 10/28. संस्कृतिना सादे 6. पलपलनां पलटा गु. 10/29. वरसे वादल झबूके वीझ 7. कमलनी केद गु. 10/30. पगले पगले पुण्य प्रभाव 8. कल्याणयात्रा गु. 10/31. फूलडा फोरम भर्या 9. सोसो सलाम संस्कृतिने ___ गु. 10/32. धूपसुगंध 10. चिंतन अने चिनगारी गु. 10/33. दंडनायक महामंत्री विमल 11. वेर अने वात्सल्य 12|34. शौर्यनी साहीथी 12. शौर्य अने शहादत 12|35. शौर्यना शिल्प 13. प्रकाश प्रति प्रयाण 12|36. शौर्यना शिलालेख 14. कल्याणमंत्र 12|37 भोगे शूरा त्यागे शूरा 15. तूट्या तार गुंजे गीत 12|38. मैत्रीनां मूल अमूल '. 16. फूल अने फोरम __12|39. भाग्यचक्र 17. दिल जेनां दरियाव गु. 1240. पुण्य जय पापे क्षय 18. सतनां त्राजवे गु. 12/41. लेख मीटे नहि मेख लगायो 19. मुंझाता मानवीने गु. 15/42. हसतां ते बांध्या कर्म 20. मुंझवणमांथी मुक्ति गु. 15/43. कल्याणनी केडी 21. युद्ध विराम गु. 30/44. सुकृत सागर 22. मधुबिंदुनी माया 45. गीरनारनां गीतनायको 23. दास देवाधि देवनां गु. 20/46. ध्रुवधाम एकराम Kinating: 10 CREDITroeticotococc0000 660 HAN 44444444 |

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