Book Title: Jain Sahitya Suchipatra
Author(s): Ratnatrayvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay
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गु. 100
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भाग-५ "श्री विद्वान पंडितोकी साहित्य सूचि" का श्री वीतराग सत् साहित्य ट्रस्ट 580-जूनी माणेकवाडी, कानजी स्वामी मार्ग, भावनगर (सौ.) 364001
फोन नं. : (0278) 2515005 • (मो.) 9377100545
लेखक : कानजी स्वामी / शशीभाई / बहनजी नाम
भा. कि.नं. नाम . 1. धन्य आराधक
गु. 50/21. द्रव्य द्रष्टि प्रकाश 2. प्रवचन नवनीत भा.1 .. हि. 75|22. अध्यात्म सुधा भा.1 3. प्रवचन नवनीत भा.2 हि. 90/23. अध्यात्म सुधा भा.2 गु. 100 4. प्रवचन नवनीत भा.3 हि. 105 |24. अध्यात्म सुधा भा.3 5. प्रवचन नवनीत भा.4 हि. 115/25. अध्यात्म सुधा भा.4
गु. 130 6. बृहद् द्रव्य प्रवचन भा.1 गु. 75/26. अध्यात्म सुधा भा.5 गु. 200 7. बृहद् द्रव्य प्रवचन भा.2 गु. 72|27. सुविधी दर्शन . हि. 55 8. आत्म सिद्धि शास्त्र
28. सम्यग्ज्ञान दीपीका हि. 35 9. प्रवचन सुधा भा.2
29. सम्यग्सार दोहन
ग. 45 10. योगसार प्रवचन भा.1 . गु. 200/30. परिभ्रमण के प्रत्याख्यान 11. योगसार प्रवचन भा.2
20031. सिद्धपद का श्रेष्ठ उपाय 12. परमागम सार
___70/32. स्मरण संचिका 13. राजहृदय भाग.3
गु. 1433. धन्य पुरुषार्थी 14. कार्तिकेयानुप्रेक्षा भा.1 गु. 100/34. स्वरुप भावना 15. कार्तिकेयानुप्रेक्षा भा.2 गु. 100/35. आत्मयोग 16. छ ढाला प्रवचन भा.1 गु. 100/36. गुरु गुण संभारणा 17. छ ढाला प्रवचन भा.2 गु. 150/37. जिन पडिमा जिन सारीखी हि. 35 18. छ ढाला प्रवचन भा.3 गु. 11538 मुक्तिनो मार्ग 19. पथ प्रकाश
हि. 40/39. धन्य आराधना 20. दूसरा कुछ न खोज हि. 20/40. धर्म दंसण मूलो
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हि. 120
हि. 17
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