Book Title: Jain Sahitya Suchipatra
Author(s): Ratnatrayvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

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Page 112
________________ श्रुतभक्ति सहयोगी शा. मुलतानमल छोगाजी पुत्र - कुमारपाल, श्रीपाल, कीर्ति पौत्र - भव्य, परम समस्त माधाणी परिवार मालवाड़ा (राज.) - -- परम पूज्य कलिकुंड तीर्थो द्वारक आचार्य देव श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की तृतीय मासीक पुण्यतीथी नीमिते कलिकुंड तीर्थ धोलका सं. 2066 चैत्रवद 11 दि. 10-4-2010 यदी आपको समृद्धज्ञान भंडार बनाना है ? तो जैन साहित्य की सूचिपत्र मंगवाना है यदी आपको सुसाहित्य पढने में रुचि है तो आपके हाथो में यह साहित्य पत्रो की सूचि है। NAVNEET PRINTERS M:98252 61177

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