Book Title: Jain Sahitya Suchipatra Author(s): Ratnatrayvijay Publisher: Ranjanvijay Jain PustakalayPage 29
________________ गु. 50 . بی بی Connonenormonenomenoners) नं. नाम भा. कि.नं. नाम भा. कि. 16. विचार नवनीत गु. 35 /25. विज्ञान अने धर्म 17. कुटुंबे स्नेहभाव गु. 15 26. भारत विरुद्ध इन्डिया 18. भव्य भारत गु. 40 |27. उंडा अंधारे थी 19. आत्मा गु. 10/28. नारी तुं नारायणी 20. आतम जागे गु. 20/29. बार प्रकारनी हिंसाओ . 21. शुं माणस खोवायो छे गु. 30 |30. जे गुणी कुटुंब ते सुखी कुंटुब 22. हिन्दुत्व उपर भेदी हुमलो गु. 20 31. भव आलोचना 23. गोराओनो भावी प्लान गु. 10/32. कां पवनबंध-बारीबंध 24. वर्धमाननुं लग्न जीवन गु. 20| छेवटे आंखो बंध .. بی کی قبر تي लोचना في श्री कलापूर्ण सूरि साधना स्मारक ट्रस्ट मु.पो. : शंखेश्वर, वा. हारीज, जि. पाटण - 384240 (गुज.) __ लेखक : पंन्यास प्रवर श्री मुक्तिचंद्र विजयजी गणी नं. नाम भा. कि.नं. नाम . 1. कहे कलापूर्ण सूरी भा.1 हि. 15012. मिलें मन भीतर भगवान 2. कहे कलापूर्ण सूरी भा.2 हि. 140|13. सहज समाधि । 3. कहे कलापूर्ण सूरी भा.3 हि. 120/14. परमतत्त्व की उपासना 4. कहे कलापूर्ण सूरी भा.4 हि. 120 | 15. सूक्तिः कलापूर्ण गुरोः सिवाय । 5. कहे कलापूर्ण सूरी भा.1 गु. 150|16. शब्द माला 6. कहे कलापूर्ण सूरी भा.2 गु. 120 17. ध्यान विचार 7. कहे कलापूर्ण सूरी भा.3 18. तत्त्वज्ञान प्रवेशिका LT 20 8. कहे कलापूर्ण सूरी भा.4 गु. 120|19. कलापूर्णम् सचित्र भा.1 9. का कलापूर्ण सूरिए गु. 120/20. कलापूर्णम् सचित्र भा.2 10. आकाश गंगा गु. -21. स्वाध्याय कला 11. ज्ञान गंगा गु. 55|22. हैम अमृत संस्कृतम् 50 By Tomorroencoconsoon 240 | | | دي ي ي ي ي ي ي حب في عيدPage Navigation
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