Book Title: Jain Sahitya Suchipatra Author(s): Ratnatrayvijay Publisher: Ranjanvijay Jain PustakalayPage 37
________________ 38. हे (8 ponomenomenomenormoneOR) नं. भा. कि.नं. नाम भा. कि. 37. समी सांजे. गु. 30/63. मंदी में भी मस्त हि. 40 गु. 40/64. दो कदम विस्मरण से स्मरण हि. .40 39. समजणनां सथवारे विवेकनां पगथारे गु. 30|65. यह मुंबई है हि. 40 40. दीवाल ज्यारे तूटी जाय छे गु. 30/66. हीरामोती 41. पर्दाफास गु. 30/67. मुस्कान भरी मृत्यु 42. अमो सहु साथे रहीशुं गु. 30/68. आरोपनामा 43. पंखीनी पांखे विवेकनी आंखे । गु. 40/69. टकराव नहि समजौता . 44. नजर गु. 40/70. दिल की बात 45. मारे पण कांई कहेतुं छे गु. 30/71. 0 God Why Me 46. समाधाननी शिखरे गु. 30/72. Media Time Fir Intro 47. बोधनी शोधमां गु. 30/73. Sweeten Your Heart 48. मजा आवी गई गु. 40/74. Carveiton.Your Heart . 49. 200 गु. 70/75. Finish Loine 50. देवालुं गु. 40/76. Guiding Stars 51. भक्ति तारी मस्ती न्यारी 40|77. मने संयम खुब गमे छे 52. तगडे छगडे 40/78. बस हवे कोईज फरीयाद नथी 53. दिल्ली दिलवालानी 40/79. आ मां हुं क्या ? 54. अहो आश्चर्यम् 40/80 वेदना प्रभुवीरनां चरणे 55. मंदीमां पण मस्ती ___40|81. दर्पण साथे दोस्ती 56.ज्यारे बारी खुली जाय छे गु. 40/82. निमंत्रणनी सफलता नियंत्रणमा 57. विश्रामस्थल हि. 40/83. अक्सरे 58. नजर हि. 40/84. यात्राप्रेम थी प्रसन्नता तरफ गु. 59. मन ! तुं समजी जा हि. -85. आशा छे हुँ बची जईश 60. प्रेमकी मीठी नजर 86. तो पछी क्यारे 61. मिटे द्वेषका जहर हि. 30/87. लडाई लाडनी जुगलबंधी 62. मुझे भी कुछ कहना है हि. 40/88. सरनामु 444444444 144444p rur !! CHOeneroeneroeracroecoraemorial 32 )Page Navigation
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