Book Title: Jain Sahitya Suchipatra
Author(s): Ratnatrayvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

Previous | Next

Page 28
________________ OBERemOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOO09) नं. जाम भा. कि.नं. नाम भा. कि. 7. शास्त्र संदेश माला भा.7 सं. 40|19. शास्त्र संदेश माला भा.19 सं. 40 8. शास्त्र संदेश माला भा.8 सं. 40/20. शास्त्र संदेश माला भा.20 9. शास्त्र संदेश माला भा.9 40|21. शास्त्र संदेश माला भा.21 10. शास्त्र संदेश माला भा.10 |22. शास्त्र संदेश माला भा.22 11. शास्त्र संदेश माला भा.11 | 23. शास्त्र संदेश माला भा.23 12. शास्त्र संदेश भाला भा.12 24. शास्त्र संदेश माला भा.24 13. शास्त्र संदेश माला भा.13 | 25. संवेग रंगशाला 14. शास्त्र संदेश माला भा.14 सं. 40 |26. आगमपद्यानाम् आकारदिकम् भा.1 सं. 400 15. शास्त्र संदेश माला भा.15 सं. 40/27. आगमपद्यानाम् आकारदिकम् भा.2 सं. 400 16. शास्त्र संदेश माला भा.16 सं. 40/28. आगमपद्यानाम् आकारदिकम् भा.3 सं. 400 17. शास्त्र संदेश माला भा.17 सं. 40|28. आगमपद्यानाम् आकारदिकम् भा.4 सं. 400 18. शास्त्र संदेश माला भा.18 सं. 40/ सं. 40/ 16 श्री कमल प्रकाशन ट्रस्ट C/o. जीवतलाल प्रतापशी संस्कृति भवन 2777, निशापोल, झवेरीवाड, रीलीफ रोड, अमदावाद-1 फोन : (079) 25355823 / 25356033 लेखक : पंन्यास प्रवर श्री चंद्रशेखर विजयजी म.सा. नं. नाम . भा. कि.नं. नाम भा. कि. 1. तो भारत नो उदय चपटीमां गु. 40/9. जे बनो ते साचा बनो गु. 50 2. धर्मरक्षा थी सर्वरक्षा 20|10. रामायणमां संस्कृतिनो संदेश-1 गु. 50 3. दे दोट समंदर मां | 11. रामायणमां संस्कृतिनो संदेश-2 गु. 50 4. मने कहेवा दो | 12. त्रिभुवन प्रकाश महावीर देव गु. 35 5. अरिहंते शरणं पवज्जामि | 13. जैन तत्त्वज्ञान सरलभाषामां गु. 35 6. पहेला तमारो स्वभाव सुधारो गु. 20 | 14. जीवन जीववानी कला गु. 25 7. अय युवानः उठ उभो था गु. 30 8. ओ जीजी मैया ! जल्दी शिवाजी 15. भस्मग्रह उतरी गयो हवे . नां दर्शन दो गु. 40 23 DonermomeneracrooraemocracO8) गु. 25/ कामे लागीये

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112