Book Title: Jain Sahitya Suchipatra
Author(s): Ratnatrayvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

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Page 14
________________ JP Recommenomenormomentation ) नं. नाम भा. कि.नं. नाम भा. कि. 27. प्रभु से लागी लगन-1 गु. 60/30. टेन्सन टु पीस हि. 10 28. प्रभु से लागी लगन-2 गु. 60/31. मन के जीते जीत 29. संयम शतक नियमावली 6 अंबालाल रतनचंद जैन धार्मिक ट्रस्ट 72, झवेरी बाजार, मुंबई-2 ___फोन नं. : (022) - 22413933 / 22409235 लेखक : आ.वि. श्री हेमचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. नं. नाम भा. कि.नं. नाम 1. गुरुनी शीखडी अमृत वेलडी-1 गु. -|18. मुक्ति नुं मंगलद्वार 2. गुरुनी शीखडी अमृत वेलडी-2 गु. -|19. समतासागर चरित्रम् 3. पदार्थ प्रकाश भाग-1 E. 20/20. सात्विकतानो तेज सितारो . 4. पदार्थ प्रकाश भाग-3 गु.. 15/21. पंचसूत्र 5. पदार्थ प्रकाश भाग-4 *गु. 20/22. पंचसूत्रनुं परिशीलन 6. पदार्थ प्रकाश भाग-5 गु. 25/23. अरिहंतनी वाणी हैये समाणी 7. अरिहंत वंदनावली सार्थ | भाग-1, 2 . 8. ब्रह्मचर्य समाधि गु. -24. कलापूर्ण सूरि जीवन दर्शन गु. 9. वीश विहरमान ___3/25. ऋषभ जिनराज आज दिन गु. 10. प्रभु तुज वचन अतिभलु-1 __- अति भलो 11. प्रभु तुज वचन. अतिभलु-2 गु. -[26. चित्कार 12. महाविदेहना संत भरत मां गु. -27. धर्माचार्य बहुमान कुलकम् 13. गुरु दीवो गुरु देवता गु. 10/28. मनोनुशासनम् 14. भक्ति मां भीजाणा गु. -29. प्रभु दर्शन सुख संपदा 15. पूर्वजोनी अपूर्व साधना गु. 30/30. बंधनथी मुक्ति तरफ 16. लक्ष्मी सरस्वती संवाद , गु. 1031. नेमिदेशना ____ गु. 17. काम सुभट गयो हारी गु. -32. समाधिसार 9 Doraemonococoomenenera । । । - ० )

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