Book Title: Jain Sahitya Suchipatra
Author(s): Ratnatrayvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay
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कि
mmuneronentinenternment). नं. नाम .. भा. कि.नं. नाम
भा. कि. 47. वंदित्तु सूत्र
___10/53. अनमोल वचन 48. पौषध विधि गु. 10|54. सोनेरी सुवाक्यो
गु. 20 49. ममी ! मारे शिबीरमां जावं छे. गु. -55. तत्त्वज्ञान प्रवेशिका 50. भक्ति सुकान गु. -56. प्रभुभक्ति
गु. 10 51. परमात्म भक्ति गु. 15/57. वांचो अने विचारो
गु. 10 52. भक्ति गीत गंगा
।
नाम
10
श्री आत्मकला साहित्य पीठ
- धीरज के. दोशी, कोमल सारीज 105-कोमर्शीयल झवेरी सेन्टर, जैन वंडा सामे, वाणीयावाड, भुज (कच्छ)-370001 • फोन नं. : 50859 - 51205 लेखक : मुनि श्री आत्मदर्शन विजयजी म.सा.
भा. कि.नं. नाम 1. कलापूर्ण सुरी दिनचर्या . गु. -13. फेश चिन्तनो 2. कुम कुमनां पगले पत्रिका पेकेज __-|14. सुंदर सज्झायो 3. अनन्त आकाश में
30|15. वंदे मातरम् 4. अतीतनी सफरे
गु. 30/16. सफल जीवननो सम्राट 5. राजधानीनी सफरे . ___40|17. उंड़ा आकाशमां 6. उंडा.आकाशमां
| 18. सुंदर सज्झायों 7. हालरईं
35 19. प्रेमनी आसपास 8. वागडनुं पाटनगर
| 20. वंदे कलापूर्णम् . 9. मध्यभारतनी सफर -
40|21. प्रस्तावना 10. महामंत्रनां शरणे
22. शोर्ट एण्ड स्वीट , 11. दक्षिणनी सफरे
| 23. मानवजीवन के माईलस्टोल 12. सांभलजो
___24. शोर्ट एण्ड स्वीट (17 monendometoor
1656545
गु. 30
444
हि. 15 हि. 15 गु. 15
)

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