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अंक ३ ]
डॉ. हर्मन जैकोबांनो जैन सूत्रोनी प्रस्तावना
गाथाना उत्तरार्द्धने टाक्युं छे. आ उपरथी एम स्पष्ट सम जाय छे के टीकाकार आचारांग सूत्रनी समाप्ति प्रथम श्रुतस्कन्धना आठमा अध्ययनना चोथा उद्देशकनी सोळमी गाथा - के जे ए श्रुतस्कन्धनी उपान्त्य गाथा छेसाथै थली माने छे. आथी ए सिद्ध थाय छे के आचारांग सूत्रनो सौथी प्राचीन भाग ते तेनो प्रथम श्रुतस्कन्ध छे. बाकीनो भाग पाछळथी उमेरवामां आव्यो छे. आ ( प्रथम ) श्रुतस्कन्ध पोताना विषयमां परिपूर्ण छे. मां श्रद्धाशील आत्माओ माटे मोक्षपर्यंतना मार्गनुं गूढ भाषामा वर्णन करेलुं छे. एनुं अंतिम अध्ययन के जे तीर्थकरे सहेला कीर्तिकर परीषहोनुं लोकार्षक वर्णन आपतुं एक विजयगीत जेवुं छे, ते प्राय: पाछळना समयमा उमेरवामां आवेलं छे; तो पण जे स्वरूपमां ते अत्यरे उपलब्ध थाय छे ते रूप एक साचा योगीजीवननुं उच्च आदर्श दर्शक होई घणुं महत्त्वनुं छे. आ सूत्रनो मोटो भाग एक अत्यंत भ्रांत एवा गद्यरुपमां लखाएलो छे. तेमां घणा ठेकाणे वाक्यांशो नजरे पड़े छे तथा केलांक स्थळोए तो एवां पण वाक्यो मळी आवे छे जेनो कोई अर्थ बेशी शकतो नथी. आ शैली जोई आपणने ब्राह्मणोना सूल-ग्रंथोनुं स्मरण थई आवे छे. खरूं; परंतु ए बेमां बच्चे एक मोटो भेद ए छे के ब्राह्मण ग्रंथोमा एकाकी जगातां सूत्रों, ते विचारोनी तार्किक श्रृंखलाना आवश्यक अंकोडा - अवयवां रूप छे; पण आ सूत्रमां नजरे पडता असंबद्ध वाक्यो या वाक्यांशो कोई एक मुख्य विचारना स्पष्टीकरण करवा अर्थे एक बीजा साथ संबंध धरावता होय तेम जणातुं नथी. ने वांची जवाथी आपणने ते कोई तर्क संयुक्त चचनो बोध करावनार कोई संगत शास्त्र होय एम नथी जणातु; परंतु ते वखतमां विद्यमान केटलाक पवित्र ग्रंथोमांना अवतरणानो बनेलो एक उपदेशक वचनसंग्रह होय तेम जणाय है. मारा आ अनुमाननी सत्यता, ए सूत्रना गद्य भागमां अहीं तहीं बेराएली जे गाथाओं अथवा गाथांशी मत्री आवे छे तेनाथी सिद्ध थाय छे, कारण के आमाना अनेक गाथांशी ते सूत्र
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कृतांग, उत्तराध्ययन अने दशवैकालिक सूत्रोमा जडी आवती गाथाओ अथवा गाथाना पादोने घणा मळता आवे छे. आ उपरथी ए वा पादा या पद्याने ते वखतमां प्रमाणभूत गणाता ग्रंथांना अवतरणो रूप मानवां जोईए. आज निर्णय केटलाक गद्य वाक्योनेअने तेमां खास करीने जे जे वाक्यो स्वयं अपर्याप्त छे तेमने, पण लागू पाडवो जोईए. आ अवतरणोनी पण वधारे समजुती आपवा मांटे अगर तो तेमनी अर्थपूर्ति करवा माटे बीजा पण तेवां वाक्यो अगर पद्यो उमेरेला छे, जेमांना केटलाक नमुना नीचे प्रमाणे छे:१, ४, १, ३, मा आवेल 'अहो य राओ गतमाणे धीरे ' आ त्रिशुभ छंदनो एक पादमात्र होई स्पष्टरीते अवतरण जणाय छे. एनी पछी आवेल सया आगयपन्नाणे ' ए. वाक्यांश, ए अवतरणनुं अर्थ बोधन करे छे; जैम के
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अहो य राओ =सया' अने 'गतमाणे धीरे= आगयपन्नाणे ' आ पछीनो वाक्यांश ' पमत्ते बहिया पास' छे. जे संभवितरीते एक श्लोकनो पाद छे. आ पछीनुं वाक्य ' अप्पमते सया परक्कमेजा ' ए. छ; अने ते उपरना वाक्यनुं नैतिक तारण है. आ उपरथी आनो अनुवाद आपणे आ प्रमाणे करीए : ' रातने दिवस प्रयत्न करतो अने धीर ' अर्थात् सदा तत्पर ज्ञानवाळा ' जो प्रामादिओ बहार उभा रहे छे' ( तेटला माटे ) अप्रमत्तरीत सदा प्रवृत्त थवं जोईए. ' टीकाकार अवतरण अने तेना टिप्पणने जुदा पाडता नथी परंतु ते तो आ बधा पदोने एक वाक्यना अवयवो समजे छे, अने तेनो अर्थ मारा अनुवादना मूळमां (पृ. ३७ ) जेम लखेलो छे तेज प्रमाणे ते आपे छे.
अनी माफक बीजां पण वणां ठेकाणे, शीलांके पोतानी टीकामां जेवो अर्थ कर्यो छे तेवो ज अर्थ में मारा अनुवादमां आपको उचित धार्यो छे कारणके केटलीक बखत अवतरण अने ते पछीना मूळ ग्रंथ - भागने अलग तारवी काढवानुं काम अत्यंत अशक्य होय तेम जणायुं छे. तेथी सिद्ध करी बतावी शकाय तेवा पद्यांशोंने छोडी
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