________________
२४
जैन साहित्य संशोधक-परिशिष्ट.
[खंड तुअरने दीली थकी चयांणे काढ्या । पुन वि० सं. तिणहिज विलाइं ए सकलाचार्य मिलि पाखि चउदसि ९५२ वर्षे श्री नाडोलनगरे श्रीनमि बिंव सूरीइं प्रतिष्टयौ। दिने थापी । एहवई अवसरे दंडनायक श्रीविमल प्रगट हूओ।
इति विमलोत्पत्ति । विमलनो संबंध कहइंछई।
३१ तत्स? श्री यशोदेव सूरी । श्रीगुर्जरदेशी वढीयार घंडि पंचासरा ग्राम थकी आवी- ते गुर्जर देसी वालिम नगरई, नागर वाडय कौशिक नई चावडो वनराज वि० सं ७९५ बर्षि वणोदनगर गोत्रि, विक्र० सं० ९९५ वर्षे जन्म हूओ | एहबई
मावी रौ। पिण चिहं दिशि भयंकर वन देषी उदासी विक० सं० ९४१ वर्षि रहै । तिवार ( ४५-२) ई श्रीवीर निर्वाण हुआ पछी
श्री यशाभद्र सूरी बारसई अनई बिहोतरी वर्षि पुनः विक्रम सं०८०२वर्षि
प्रगट हूया । तहनो संबंध कहै छै । अणहिल्लवाडओ पाटण वसाव्युं ।
श्री सांडेर गच्छे श्री ईश्वर सूरीइं पोतानइं पाटिं पद तिवारइं विमलना वृद्ध पितानि ग्राम गांभू थकी देवाने बद (४६-२) री देवी आराधी । ते आवी कहें लेडी लावी श्री वनराजि पाटण मध्ये वसाव्या | अबूंदपासनि रोहाईपंडे पलासी गामी प्रा. नारायण गोत्रि तेहनां वंशमां प्रो०दो० वीरो तेहनी भार्या वीरी कुक्षि वि० सापुनी भार्या गुणी तत्पुत्र सुधर्म वर्ष पाचनो छई । ते हवणा सं० ९४५ वर्षे विमलनो जन्म हू ओ । अनि वर्ष ८ पोसालई भणि छई । तिहां पूर्व कर्मना योगी कोइक वाडव थकी मांडी वर्ष ११ ताई हाटि व्यापार कीषु । वर्ष पुत्र खडीओ पाटी एकांति स्थानिके मुकी घरे जिमवा गयो । १३ मे श्री धर्मघोष सूरीनो उपदेश सांभली श्री पत्त- एतलई सुधमई तेहनो षडीओ लीधो । पाछो मुकता अफनाधीस श्री भीम राजाई बाण प्राकर जांणी प्रधान पद लाणो,भागो खंड २हुआ|एतलई ते बाडव पुत्र आव्यो।बालके दीधो । वर्षे...४ देश साध्यो । द्व.दस म्लेछ छत्रोदालिक कह्य-ताहरो षडीयो सुम्मि षंड २ कीधा।तिवारई वाडवसकल भूप चूडामणि बिरुदधारक चंद्राउलि १ आरासाणे २ पुत्र कहई तेहिज षडियो लेउं । मनुष्ये घणुंज वायो नगर थापक | पुनः वि० सं० ९८८ वर्षि श्री धर्मघोष पिण न रही | तुज मस्तकनी तूंबडी ते मध्ये शालिना सूरी नागिंद्र १ चंद्र २ निवृत्ति ३ विद्याधर ४ प्रमुष तंदूलनउं करंबउ खाउ तओ हूं वाडव | सुधर्म कहई सकल आचार्य मिलि श्री अबूंदोपरि नवीन प्रासादका- हूं मृओ तूजने माहं तओ हूं वणिक । बिहूं एहवी प्रतिज्ञा रक | तन्मध्ये श्री बालानाह क्षेत्रपाल दत्त श्री रुषभ बिंब कीची छे । ते सुधर्म ताहरा गछ पाटनो उदयकारी के, स्थापक । पुनः आरामणी श्री नेमि बिंध स्थापक एहत उ कही बदरी देवी अलोप हुई । ते देवी वाणी ( ४६-१) अन्य एकादश शत महापामादकारक, सांभली श्री ईश्वर सूरी रोहाइ खंडई पालासी ग्रामें अढी हज्जार जीणोद्धारकारक, एहवें वि० सं० ९६१ आव्या | तिहां देवीनी प्रेरणाई (४७-१) सुधर्म गुरु वर्षि गीरीनारासन्नी श्री जीर्णदुर्गाधिपति श्री राय खिंगा- वाणी सांभली दीक्षा लीधी । तिहा थकी श्री सुरी मडारनो जन्म हूओ । वि० सं० ९८९ वर्षि पोरु वणिक हडई नगर आव्या । पुनः बदरी देवी आराधी । देवी प्रति द्रव्य देई विमलई द्वादश गौत्र प्रति प्रागवाट कीधा। कहै इहां सुधर्मनई पदवी दीओ, हुं तेने सहावि० सं० ९९१ वर्षि सोमपुरा वाडवने विमले द्रव्य देई यकारी छ । गुरु देवी वचन थी मुडाहडई नगरई शिलावट कीधा । वि० सं० ९९३ वर्षे दंडनायक बिरुद तिणहीज घडी ए पद देई आ. श्री यशोभद्र सूरी नाम धारक श्री विमल स्वर्गा हूओ | यतः
दीधुं । तिणहिज घडीई नित्ये आठ कवल आहारना नागिंद्र चंद्र निवृत्ति विद्याधरप्रमुखसंघेन ।
अभिग्रह धारक श्री आ० हुआ । श्री बदरी देवी भक्ति अर्बुदकृतप्रतिष्ठो युगादिजिनपुंगवो जयति । १ । साचवें । तिहां थकी विहार करता गुरु श्री ईश्वर सूरी?
Aho! Shrutgyanam