Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 03 to 04
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

View full book text
Previous | Next

Page 179
________________ अंक ४] सप्तभंगी जोई तेनो समन्वय जैन दर्शने अनेकांतता द्वारा कर्यो ग्रीक फीलसुफ प्लेटोनी, वस्तुनी सदसदात्मकता होय एम मानवाने वांधो लागतो नथी.23 विषेनी मान्यता आपणे पहेलां जोई गया. अनेकान्तता ___ आ तत्त्व समजबुं बहुज सहेलुं छ; अने जैन तत्त्वज्ञान विषे पण तेनी आने मलतीज मान्यता छ अने ते आ ते वडे व्याप्त थएवं छे. प्रमितिनी दृष्टीए कहीए तो एक प्रमाणे छे:वस्तुविधे अनेक धर्मोनो आरोप करवो शक्य छे, वस्तुनी " एलीयानो मुसाफर-अनेक वस्तु विषे आपणे दृष्टीए कहोए तो वस्तु अनेक गुणमय छे अने अनेक शी रीते अनेक धर्मोनो आरोप करीए छीए, ते बाबत पर्यायो धारण करे छे. वस्तु स्वभावना आ तत्त्वना आपणे विचार करीए. स्वीकारथी कोई पण प्रकारना सदैकान्तिक के अस- थीएटेटस--उदाहरण आपो. दैकान्तिक मतथी आ सिद्धान्त स्पष्ट रीते जुदो पडी मुसाफर-उदाहरण तरीके हूं एम कहेवा मांगु छू जाय छे. . के एक माणस विषे आपणे अनेक नामो वडे व्यवहार आपणे जोई गया के जैनाचार्यो वस्तुनो स्वभाव करीए छीए-एटले के तेने विषे रंग, रूप, पारमाण, सदसदात्मक सिद्ध करे छे. आ सिद्धान्तमांथी सामान्य गुण अने दोषादिना आरोप करीए छाए. आमां अने अने विशेषनो सिद्धान्त सहेलाई थी निपजावी शकाय बीजा सेंकडो उदाहरणोमा आपणे तेने माणस कहीए छे. कारण के वस्तुना सामान्य गुणो ‘सन्मूलक ' अने छीए एटलंज नहीं पण तेने ‘ते भलो छे' अने एवा विशेष गुणो ‘असन्मूलक' छे. ( असत् शब्दनो अर्थ अनेक गुणवालो छे एम कहीए छीए. अने ए ज उपर जणाव्या प्रमाणेज लेवानो) शाथी जे, वस्तु रीत हर कोई वस्तु जेने आपणे शरूआतमां एक धारता अमुक विशिष्ट वस्तु बीजी वस्तुओ नथी तेना वडे छे. होईए छीए तेने आपणे अनेक कहीए छीए अने अनेएटले के विशिष्टतानो आधार ' असत् ' उपर छे, क नामो वडे तेनो व्यवहार करीए छीए. अने तेथी जैनाचार्यो कहे छे के वस्तु सामान्य विशेष थीएटेटस-बराबर छे.१२ मय छे. ' सत्कार्य ' अने ' असत्कार्य ' नो सिद्धान्त पण आमाथी ज निकली शके छे. अमुक वस्तु अथवा १२ जुओ.--Dialogues of Plato-Vol. iv. कार्य पोताना कारणमां ऊर्ध्व सामान्य पूरतुं तो छ ज. पा. ३८३ ( आवृत्ति त्रीजी.) अने पोताना विशेष वडे पोताना कारणमां नथी. तेथ Str. Let us enquire, then, how we कारणमां कार्य सत अने असत बन्ने के आवां अनेक come to predicate many names of the द्वन्द्वो जैनाचार्यों घटावे छे अने चन्द्रप्रभ सूरिना शब्दोमां same thing. Theart. Give an example. कहीए तो " वयं खलु जैनेन्द्राः एकं वस्तु सपति Str. I mean that we speak of man, पक्षानेकधर्मरूपाधिकरणं ' इत्याचक्ष्महे | " अमे जैनेन्द्रो for example under many names-that we एक वस्तु प्रतिपक्ष युक्त अनेक धर्मोनुं अधिकरण छ एम attribute to him colours and forms and मानीए छीए." ११ magnitudes and virtues and vices, in all of which enstances and in ten thou*प्रारंभना समयमा एम होय के न होय तो पण सिद्धसेन sand others we not only speak of him दिवाकरना न्यायावतार उपर टीका करनार सिद्धर्षि आरीते अने as a man, but also as good, and having कान्तवाद ने समजावे छे. लेखक. ११ सरखावो-- अनेकात्मकं वस्तु गोचरः सर्वसंविदाम् ।। numberless other attributes; and in न्यायावतार.-वळी ' तंदेवमनेकधर्मपरीतार्थयाहिका बुद्धिः the same way anything else which we प्रमाणम् । न्या टीका. originally supposed to be one is describe Aho! Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252