Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 03 to 04
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

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Page 201
________________ अंक ४] डॉ. हर्मन जेकोबीनी जैन सूत्रोपरनी प्रस्तावना थं अने प्रामाणिक आलेखन मेळववानी आपणे आशा जेवाज होवा जोईए. गृहस्थ अने साधुजीवनना नियमोनुं न ज राखवी जोईए. तेओ स्वाभाविक रीते, ते सिद्धा- भिन्नत्व बीजा दिवसोमां रहेतुं हतुं. परंतु आ वर्णन न्तोनुं आलेखन एवा ज रूपमा करशे के जेथी तेमां दे- जैनोना पोसहवतना नियमो साथे पूरेपूलं मळतु आवतं खाई आवता दोषो वधारे मोटा प्रमाणमां बतावी शकाय. नथी. प्रो. भांडारकर, तत्त्वार्थसार-दीपिकाना आधार जैनो पण आ बाबतमा बौद्धो करतां लेशमात्र उतरे तेम पोसहवतनुं स्वरूप नीचे प्रमाणे आपे छे; अने आ वर्णन नथी. तेमणे पण बौद्धोना सिद्धान्तोने आ ज प्रमाणे विकृत बीजा तेवा वर्णनो साथे बराबर संगत थ य छ. भांडारकर रूपमां आलेख्या छे. बौद्धोना ए मंतव्यनु के-पाप लखे छ:-'पोसह एटले दरेक पक्षनी अष्टमी अने चतु. ए तेना आचारनारने आशय उपर आधार राखे छे, तेनुं र्दशीना पवित्र दिवसे उपवास करवो अथवा एकाशन जैनाए, आ पुस्तकना पृ० ४१४ उपर, केवं असत्य करवू अथवा एक ज ग्रास खावो. ते दिवसोना यतिनी निरूपण कर्यु छे ते जोवा जेवु छे. ए ठेकाणे जैनोए बौ- माफक वैराग्य धारण करी स्नान, लेपन, आभरण, स्त्री द्धोना एक महान् सिद्धान्तने मिथ्या कल्पित अने मूर्खता- संगमन, सुगन्धी धूप-दीप इत्यादिना त्याग करयो' जो के पूर्ण उदाहरण साथे मेळवी उपहास पात्र बनावी वर्तमान जनानुं ए पोसहव्रत-पालन बौद्धो करतां गुं दीधे। छे. सखत छ, ए वात खरी छे; तो पण ते, निगण्ठ-नियमो अंगुत्तर निकायनो एक उल्लेख जेनी थोडीक चर्चा के जेमर्नु वर्णन उपर आपवामां आव्यु छ, तेना करतां आ उपर करवामां आवी छ तेमा वळी आगळ चला घणुं शिथिल होय तेम जणाय छे. मारा जाणवा प्रमाणे वतां जणाववामां आव्यु छ के-'उपोसथना दिव जैन गृहस्थ, पोसहमां कपडांनो त्याग करतो नथी. पण सोमां तेओ (निगण्ठो) श्रावकोने आ प्रमाणे उपदेश - बाकीना आभूषणो अने बीजा विलासोनो त्याग करे छे. आपे छ के " भद्र, तमोर सघळां वस्त्रो कादीनख तेम ज दीक्षा ग्रहण करती वखते जेम साधुने त्यागना जोइए अने कहे जाईए के ---हं कोईनो नथी अने सूत्रो बोलवा पडे छ तेम तेने बोलवा पढतां नथी. आ मारूं कोई नथी." अहीं विचारवानुं छे के, तेना माता उपरथी एम जणाय छ के-कां तो बौद्धोनुं आ वर्णन -पिता तेने पोतानो पुत्र तरीके माने छे अने ते पण भूल भरेलुं अगर असत्यमूलक होय अने का तो तेमने पोताना माता-पिता माने छे. तेनो पुत्र अगर जैनोए पोताना नियमोमा कांईक शिथिलता दाखला तेनी पत्नी, तेने पिता अगर पतिरूपे माने छे. अने ते करा हाय. पण तेमने पोताना पुत्र अगर पत्नी तरीके माने छे. तेना दीघनिकाय १, २, ३८ (ब्रह्मजाल सूत्र ) मां गुलामो अने नोकरो तेने पोतानो मालिक या शेठ माने आवता निगण्ठ विषयक उल्लेख उपरनो पोतानी टीकामां छे अने ते पण तेमने तेओ पोताना गुलामो अगर नोकरो एक ठेकाणे बुद्घोष लखे छे के- 'निगण्ठो आत्मा वर्णछे, तेम माने छे. आ कारणथी (निगण्ठो) तेमने रहित छ एम माने छ; अने आजीविको आत्माना व(श्रावकोने ) उक्त रीते बालवानुं कही तेमनी पासेथी र्णनी अनुसार समस्त मानव जातिना ६ विभागो पाडे असत्य भाषण करावे छे. वळी ए रात्री व्यतीत थया बाद, छे. परंतु मृत्यु पछी पण आत्मानुं अस्तित्व पररावे छे तेओ,ते ते वस्तुआनो उपभोग करे छे जे सर्व (तेमना अने ते बधारोगोथी मुक्त ( अरोगो )होय छे, ए बाबतमा माटे ) अदत्तादानरूप छे. आथी हु तेमने अदत्तादान निगण्ठो अने अजीविको बने समानमत वाळा छे. ' छेवटना लेवाना पण दोषी तरीके मार्नु छ.' शब्दोनो अर्थ गेम तेम हो, परंतु तेनी उपरनुं वर्णन आ वर्णन उपरथी समजाय के के निर्ग्रन्थ-उपासकना तो, आ पुस्तकना पृ. १७२ उपर आपेला जैनोना आत्मउपोसथना दिवसोवाळा नियमो साधुजविनना नियमो स्वरूपना वर्णन साथे बराबर मळतु आवे छे. एक बीजा Aho! Shrutgyanam

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