Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 03 to 04
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

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Page 236
________________ २०४ जैन साहित्य संशोधक महावीर निर्माणनो समय-विचार [* जेमनी ऐतिहासिक विषय तरफ रुची छे अने जे ओ ए विषयना लेखोर्नु ममनपूर्वक अध्ययन-श्रवण करे छे तेओ सारी पेठे जाणे छे के, जैन इतिहास अने जैन काळगणानाना ॐ नमः रूपे जे श्रमग भगवान् श्री महावीर देवनो निर्वाण-समय छ तेना विषयमा पुरातत्त्ववेत्ताओमां आज धणां वर्षोथी परस्पर मतभेद अने वाद-विवाद चाली रह्यो छे. जैन धर्मना प्राचीन साहित्यमा पण खुद ए बाबतमा एकता जणाती नथी. महावीरदेवना निर्वाण समय, ए जैन इतिहासमां तो सौथी अग्र भाग मजवे छे; परन्तु अखिल भारतीय इतिहासमां पण तेनी तेरली ज महत्ता छे अने ए कारणने लईने पुरातत्वज्ञोना माटे ते एक वणो ज अगत्यनो सवाल थई रह्यो छे. सामान्य रीते जैन ग्रंथोनी वळण उपरथी एम मानवामां आवे छे के, हिन्दुस्तानमा वर्तमानमा जे विक्रम संवत्ना नाम संवत् प्रवर्ते छे तेना प्रारंभ पहेला ४७० वर्षे, अने ई० स० ५२७ पूर्वे, श्रमण भगवान् श्रीमहावीरनुं निर्वाण थयुं हतुं. जैन धर्मना दिगंबर अने श्वेतांबर नामना बने प्राचीन संप्रदायोना घणा ग्रंथो उपरथी ए निर्णय निकळे छे. परंतु प्रसिद्ध जैन साहित्यज्ञ जर्मन विद्वान् डा. हर्मन जेकोबीए, आचार्य श्री हेमचन्द्रना एक उल्लेखथी प्रेराई ए निर्णयमा शंका उपस्थित करी अने तेने मळतां वीजा केटलांक प्रमाणानो आश्रय लई, ए जुनी मान्यताने असंबद्ध जणावी. त्यार पछी बीजा घणाक विद्वानोए ए संबंधमां, परस्पर खंडन-मंडन चालु कयु अन एक बी जाए पोत पोताना कथनने सत्य सिद्ध करवा अनेक जातनो ऊहापोह कर्यो. जार्ल चार पेंटियर नामना एक विद्वाने — इंडियन एन्टीक्वेरी' नामना सुप्रसिद् मासिक पत्रना सन् १९१४ ना जून, जुलाई अने आगष्ट मासना अंकोमा, ए विषयनो एक वणो ज विस्तृत लेख लख्यो' अने तेमां महावीर निर्वाण विक्रम संवत् पूर्वे ४७० वर्षे नहीं परंतु ४१० वर्षे (ई० स० ४६७ पूर्व) थयुं हतु, अने परंपराप्रमाणे जे गणना गणवामां आवे छ तेमां ६० वर्ष वधारे छे ते कमी करवा जोईए, एम सिद्ध करवा विशेष प्रयास को हतो. पोताना ए विस्तृत लेखमां प्रथम तो ए विद्वाने एम सिद्ध कर्यु के, मेरुतुंगाचार्य विगेरेना विचारश्रेणी आदि ग्रंथोमा जैन काळगणना संबंधी जे पाचीन गाथाओ आपेली छे, तेमां जणावेला राजाओनो कोई पण प्रकारनो परस्पर ऐतिहासिक संबंध छेज नहीं. तेम ज महावीर निर्वाण पछी ४७० वर्षे जे विक्रम राजा थवानो उल्लेख के तेनो इतिहासमा क्याए अस्तित्व नथी. माटे ए पुराणी गाथाओमा जे प्रकारे काळगणना करवामां आवी छे अने जे राजाओना राज्यकाळ आप्या छे ते निर्मूळ छे. लखना बीजा भागमा ए विद्वाने एम बताव्युं के सामण्णफलसुत्त विगेरे केटलाक बौद्ध ग्रंथो उपरथी जणाय छे के, महावीरदेव अने बुद्धदेव बने समकालीन हता; अने बौद्ध ग्रंथ। प्रमाणे बुद्धदेवनो निर्वाण ई० स० पर्ये ४७७ वर्षे थयु हतुं. जनरल कनिंग्हाम अने मोक्षमुल्लरे पण ए तारीख मान्य राखी छे. बुद्धदेवनी मृत्युसमय ८० वर्षनी अवस्था हती. तो हवे जोवानुं के, गाथाओमां जणाव्या प्रमाणे जो महावीर देवनो अंतकाळ ई.स. पर्वे ५२७ वर्षे थयो होय तो ते वखते बद्धदेवनी उमर फक्त ३० परंतु ए सौ कोई माने छ के छत्रीस वर्षनी उम्मर पहेला तो गौतम बुद्धने बोधिज्ञान पण थयुं न होतुं, तो पछी तेमना *आ लेख चारेक वर्ष उपर लखायो इतो. अने एक पत्रमा ते वखत प्रकट करायो हतो. हवे आपण विषयना बधाखो आ पत्रमा क्रमथी प्रकट करवानो विचार राख्या छे तेथी आ लेख अह प्रकट करवा आवश्यक भान्य छे.-नंदिक 'लेख से अनुवाद हर पर्छ।ना अंकोमा आवामां आवशे.-संपादक, Aho I Shrutgyanam

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