Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 03 to 04
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
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१६२ जैन साहित्य संशोधक
[खंड गुजरातना वासिओने भाग्ये ज पोताना पूर्वजोना सं- माल शहर भांग्यु. तेमां संख्याबन्ध माणसो मार्या गया बंधमां कांई माहिती होय छे. तेओ पोतानी ३-४ पेढी तथा केदमां पकडाया. ते अवसरे शेठ नान्हा त्यांथी उपरांतना वडावाओनां नामो सुधां जाणी शकता नथी तो नासी छट्यो अने कोलिहाराना पायची नामे गाममा पछी तेओ क्याथी आव्या अने क्यां वस्या, तेमना जईने वस्यो. त्या तेना पुत्र-पौत्र विगेरेनो परिवार वध्यो पूर्वजो ए शां कामो कर्या इत्यादि तो जाणे ज क्याथी. अने तेना वंशजो पाछळथी यथा समये पाटण, नरेली तेमने कुलगुरुओ अने तेमनी नोंधवाहिओनी पण कल्पना ( गांभू पासे ), मोढेरा, वलाद, सलखणपुर इत्यादि आवी शकती नथी.
अनेक गामोमा जई जईने वस्या. एमांना केटलाकोए
संघो काढथा, मान्दरो बन्धाव्या, महोत्सवो कर्या, जमण आ नीचे एक श्रीमाली जैन कुटुंबनी जुनी वंशावलि
जमाङ्या अने कोईक तो संसार छोडी यति पण थया. आपवामां आवे छे, जे एक कुलगुरूनी जनी नोंधवही
आवी रीते आ वहीनी अंदरथी केटलीए जाणवा जोग माथी उतारी लेवामां आवी छे. ए नोंधवही लगभग
हकीकतो मळी आवे छे. ४००५०० वर्ष जेटली जुनी छे अने कपडा उपर लखेली छे. आ वही पाटणना एक प्राचीन उपर जणाव्युं छे तेम ए वही ४००-५०० वर्ष जेपुस्तक भंडारमा छे. आ वंशावलिमा श्रीमालि- टली जुनी छे तेथी एमां छेवटे जणोवला कुटुंबोना वंशोजातिना नोडा नामना शेठनी वंशपरंपरा आपेली छे. ए क्यां सुधी पहोंच्या अने आजे तेमानो कोई वंश शेठ, आ नोंधमा जणाव्या प्रमाणे, भिन्नमाल ( जे श्री- हयात छे के नहिं ते जाणवा-जणाववानुं कशुं साधन नथी. मालतुं बीजं नाम छे) नगरमा रहेतो हतो. एर्नु रहेठाण, आ वंशावलिनी भाषा अस्सल प्रमाणे ज कायम नगरना पूर्वना दरवाजा तरफ आवेली भट्टनी पोलमां राखी छे. तेम ज एमां फक्त नामो सिवाय बीजी कोई हतुं. मूल जातिए ए भारद्वाज गोत्रीय (ब्राह्मण ?) विशेष हकीकत पण जेथी वाचनारने कोई जातनी हतो. संवत् ७९५मां कोई आचार्यना प्रतिबोधथी ए कठिनता पडे तेम पण नथी. जैन थयो हतो. ए मोटो व्यापारी हतो अने पांच क्रो- गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर । ... डनी आसामी गणातो. एनी गोत्रमा अंबाई माता हती. तेनुं स्थान, नगरनी पासे आवेला गो...णी नामना सरोवरना कांठे, जे देविमोनुं स्थान हतुं, तेमांनी ईशान अथ भारद्वाज गोत्रे संवत् ७९५ वर्षे प्रतिबोधित कोनमा आवेली चंपकवाडीमां हतुं. ते वाडीमां, चारे बाजु श्रीश्रीमालीज्ञातीयः श्रीशान्तिनाथ गोष्ठिकः । श्रीमिन्नमाआंबाना झाडोथी ढंकाएलुं एक मन्दिर हतुं जेमा चार लनगरे भारद्वयज गोत्रे श्रेष्ठि नोडा. तेहनो वास पूर्वीली मुजा वाळी ए अंबामातानी रूपानी बनेली मूर्ति स्था- पोली भट्टनई पाडइ. कोडी पचिनो व्यवहारियो. तेहनी पित हती. आसो अने चैत्र मासनी सुदी ९ ना दिवसे गोत्रजा अंबाई. नगरीनी परिसरि गो...एणी सरोवरीए माताने नैवेद्य चढावी पूजा करवामां आवती. नैवेद्यमां देव्यानां ठाम नेऊ सहिस वेहमांहि ईशाणकुणदिति लापसी, पुडला अने जवारनुं खीचडुं मुकवामां आवतुं. चंपकवाडी तेहमांहि चैत्य. चिहुपासइ आंबाना वृक्ष तिण __ ए शेठ नोडानी १७ मी पेढिए नान्हा नामे पुरुष स्थानाक चतुर्भुजा गोत्रज स्वरूप रुप्यमई हादरि न हुई थयो. तेना वखतमां, संवत् ११११ नी सालमां, भिन्न- तुं कुंकुनी लीटी पाटली ३ कीजह नैवेद्य लापसी पूडला
र खीचडं जवार,. चैत्री आसोह ९, पुत्र जन्मइ पारणे आजे आवी रीते पोतानी जातिने भूली जवानी तैयारीमा छे ते
त्रि मुंडणिं जमणीनु कापडं. फइनइ सहर्षी १ पुत्र जन्मइ ओ काले पोताना धर्म अने परम दिवसे देशने पण केम न भूली जाय।
पुत्रीई अर्द्धकर कीजई॥
~संपादक.
__ भाद्रपद पूर्णिमा
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