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अनुभाग-
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अण्णम
अष्णय्य
अण्णव्या
tate का माहवान जैन नरेश, १११५६० [च. १६३०२४ बोरवर हनुमान का अपरनाम [3. पु.] - दे. हनुमान
१. स्वयंभू छन्द (ल. ८०० ई०) मे उल्लिखित प्राकृत के पूर्ववर्ती ऋषि [बसाइ ३०५ ]
२. गोम्मटेड प्रतिष्ठापक मुराय (१०२ ई०) का बोलचाल का भय नाम । धाई, २९३
३. अण्ण, आणक - शाकभरी के अणोराज चौहान के अपनराम- दे. antar.
मदुरा के पांड्य नरेश के जैन राजमन्त्रो इस अण्णन मिल रेमन की प्रार्थना पर सिमिकुलम (जिनयिरि) जिनमन्दिर की भूमि को करमुक्त किया गया था, १२५३ ई० में + [ive ३३१-३३२]
कोल्हापुर के शिलाहार कालीन ११३५ ई० के शि. ले. में स्था नीय रूपनारायण जिनालय के संरक्षक वीर-वणिक संघ का प्रतिनिधि धर्मात्मा जैन सेठ । [जेथिस iv २२१] मैसूर नरेश चिक्कदेवराज ओडेयर का जैन टकसालाध्यक्ष, राजा से प्रार्थना करके श्रवणबेलगोल में 'कल्याणी' सरोवर निर्माण कराया, और उसके पौत्र कृष्णराज प्र. ओडेयर (१७१३-३१ ई०) के समय में उक्तसरोवर के तट पर सभामंडप, शिखर बादि नाकर उक्त निर्माण कार्य को पूर्ण किया था। [जैशिसं. i तू. ४८-४९: सोषांक-३८ पू. ६०४०५ ]
राष्ट्रकूट सम्राट कृष्ण तु. के जैन महासाध्य बीर कवि पुष्पदंत (९५९ ६०) के आश्रयदाता भरत के पितामह । [जैसाई. ३१६; प्रमुख. १०९]
अग्नि
बीर नोद, राजा बय्यप्प का ज्येष्ठ पुत्र, स. ९५० ई० [मेजे. ६९] मन्जिव भट्टारक- १०२४ ई० के मारोल शि. ले. के महापंडित वनन्तवीर्य के प्रयुत, प्रभाचन्द्र के गुरु और विमुक्तवतीन्द्र सिद्धान्तदेव के शिष्य दिन. आचार्य । [देसाई. १०५ ]
अनंतनश्रेष्ठि- राजा त्रियम्बक का महामात्य, 'जिनधर्म महामति', चन्दनवेष्ठि
का पुत्र, ल, १५वीं शती ।
ऐतिहासिक व्य
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