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अम्बर
अम्बरषेण
अम्बर सेन -
१. अणा के प्रसिद्ध धर्मात्मा जैन सेठ भूषण (११०९ ई०) के पूर्वज, तलपाटक ( राजस्थान ) निवासी, नागर वंशतिलक अशेषशास्त्राम्बुधि जैनेन्द्रागम-वासनारससिक्त धर्मात्मा देशव्रती वैद्यराज एवं चमत्कारी चिकित्सक -भूषण सेठ के प्रपितामह थे, अतः ल० १०२५ ई० । [ प्रमुख. २१७-२१८]
२. शाकंभरी के जासट सेठ और आमुष्या का पुत्र, पद्मट का अग्रज, जिनमन्दिर निर्माता धर्मात्मा सेठ, ल० ११०० ई० । [ प्रमुख. २०६ ]
या अंबरसेन 'पण्डित शिरोरत्न', जिनकी उपस्थिति में लाडairs संघ के दिगम्बराचार्य शान्तिषेण ने, जो संभवतया इनके कनिष्ट गुरु भाई थे, धाराघीश भोजदेव की राज्यसभा में सैकड़ों वादियों पर विजय प्राप्त की थी- १०८८ ई० के दूबकुण्ड ( चंडोभ, ग्वालियर) के जैन शि. ले. में यह उल्लेख प्राप्त है । [शिसं. ii २२८; एई. ii. १८; जैसाई. १७२ ; प्रमुख २१३] दिग. आचार्य वैज्रक के शिष्य मुनि चित्रसेन के सधर्मा, जयपुर प्रदेश ११६० ई० । [ कैच. ७१] दे. अम्ब ।
अम्बराजा-
अम्बणगणि- १. या अम्बसेनगणि, दिग., कवि धनपाल द्वारा अपभ्रन्श बाहुaff (१३९७ ई० ) में स्मृत एक पूर्ववर्ती ग्रन्थकार जो अरहण (अमृता धन ) ग्रन्थ के कत्ता थे ।
२. अपभ्रंश हरिवंशपुराण (११वीं शती) के कर्त्ता कवि धवल के गुरु, संभवतया एक पूर्ववर्ती हरिवंश पुपाणकार भी अतः समय ल० १००० ई० । संभव है नं० १ व २ अभिन्न हों । अम्बा प्रसाब - गोधरा निवासी गुणपाल
नागर एवं चीि के विद्यारसिक धर्मात्मा पुत्र जिनके हितार्थ अमरकोर्तिगणि ने अपभ्रन्श भाषा में षटकर्मोपदेश- रत्नमाला की ११९० ई० में रचना की थी -संभवतथा यह उक्तगण के अग्रज भी थे। [ शोधांक- ५० पृ. ३७०] दे. अम्ब ।
अम्बीराय
अम्बुवन श्रेष्ठि- या अम्बवन श्रेष्ठि, क्षेमपुर (गेरसोप्पे ) के राज्यसेठ योजण
श्रेष्ठ के प्रपौत्र नागसेट्टि की पत्नि नागम से उत्पन्न, स्वयं भी अपने समय में राज्यसेठ था, उसके दो भाई थे, और दो पत्नियाँ
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
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