Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 127
________________ होयसल नरेष विष्णूवन महासेनापति पराब ने, जो परम जैन थे, १११७ ई. के लगभग चोलसबाट के प्रबंर सामन्त इडियम को पराजित करके अपने महराब के लिए तबकादेश को विषय की थी। इसी बोम सामंत का उल्लेख कहीं कहीं अनियम या वादियम नाम से भी हुआ है। लिसं. २६३; प्रमुख १४३] गोड चीनी यात्री, ६९३ ६. में भारत बाया, उसके यात्रा विषरण ऐतिहासिक महत्व के हैं। [पूवासु. १४९] गंगनरेश अविनीत कोंगणिके यावनिक संवारा प्रतिष्ठापित एक अहंतुदेवतायतन (विनमंदिर) को, ४४२ ई. में, प्रवत्त दान विषयक होसकोटे (या हसकोटे) ताम्रशासन के लेखक पेरेर का पिता। [प्रमुख. ७३; शिस iv. २.] इन्गरस बोडेयर (मोडेयर) मा यिन्दगरस, तोमवदेशस्थ सगीत पुर का जैननरेश, महामंडलेश्वर इन्द्र का पौत्र, संगिराय बोडेयर का पुत्र, सालुवेन महाराज इन्दगरस बोडेयर (१४९०.९६ ई.) [जैशिसं. iii ६५५, ६५६; एक. viii. १६३, १६४; भाइ. ३८९; मेज. ३१८, ३५५; प्रमुख. २७२-२७३] लक्मेश्वर के १०८१६.के दानपत्र में उल्लिखित चालुक्य सम्राट विक्रमादित्य षष्ठ के पत्र युवराज सिंहदेव के अधीनस्थ महा. सामन्त एरेमय्य के भाई दोणारा दिये गये दान में प्रेरक एवं सहयोगी एक धर्मात्मा श्रावक बो बरसय्य का पौत्र और वैच काप का पुत्र था। [शिसं iv. १६५; एक. १६] ल. १०७७ ई. के हुम्मच के शि.ले. के अनुसार मंदिर निर्माता पट्टणस्वामि धर्मात्मा सेठ नोक्कय्य का वैश्यवंशतिलक' रूपगुण. निधाम पुत्र। [भिसं. ii. २१२; एक. viii. ५७; प्रमुख. १७३] मापिका, देवगढ़ (जि. ललितपुर, २० प्र०) के १०३८१० के तथा बम्प कई शिलालेखों में उल्लिखित, प्रभावक जैन सानी। [साहनी रि. १९१८, . २३] १. वोरात् ९५८-१००० (सन् ४३१-४७३६०) में राज्य करने बाले धर्मविध्वंसक अत्याचारी चतुर्मुख कल्कि का पिता । [सो. ४-५; जैसाइ. २.] ऐतिहासिक्तिको म

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