Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 165
________________ एवमेव एचन एचय-एच नेक्राणूरमण-तिविभिगच्छ के कुलभूषण विद्या के शिष्य सफलचन्द्र भट्टारक को भूमि बादि दान दिये थे। [ मेजं. १५१; जैशि. iii. ४३१; प्रमुख. १५८; एक. vili. १४० ] दे. उग्रसेन, मदनरेश । [ प्रमुख. ३१] १. नामान्तर एबराज, एचिग. एचिता, एचिराज, अपरनाम बुधमित्र, होयसल मरेश नृपकाम (१०४७-६० ई०) के सेनापति, कौण्डिन्यगोत्री नागधर्मा का पौत्र, मार एवं माकणब्बे का पुत्र, frogen होयसल के प्रसिद्ध प्रधान मन्त्री गंगराज तथा बमचभ्रूप ( सेनापति) का पिता, पौचिकब्बे का पति होयसल नरेशों का परमर्जन राज्याधिकारी, मुल्लूर के दिगम्बराचार्य कनकनंदि का गृहस्थ शिष्य - पति-पत्नि दोनों बड़े धर्मात्मा एवं दानशील थे । [ प्रमुख. १४२; मेजे. ११६; जैशिसं. 1. ४४, ४५,५९, ९०, १४४; . ३०१] २. एचण, एविराज, येचि - होयसल विष्णुवर्धन का दण्डनायक एच, उपरोक्त एचराज का पौत्र, गंगराज का भतीजा, बम्म. her और बागण का पुत्र, शूरवीर सेनानायक - इसने श्रवणबेलगोल में 'लोक्यरंजन' अपरनाम बोध्यण- चस्यालय निर्माण कराया था, और इसके समाधिमरण करने पर गंगराब के पुत्र atoपदेव ने इसकी निषद्या निर्माण कराई थी, ११३५ ई० में । इसकी पत्नि का नाम एचिकने था । [ प्रमुख. १३८, १४४, १४५; मेजे. ११४, १३७. १९७; जैशिसं . ६६, १४४] ३. नागलदेवी (लक्ष्मी) से उत्पन्न गंगराज का पुत्र एक या एचिराज (१११८ ई०) शायद दण्डनायक बीप का भी अपरनाम रहा हो। [ मेजं. ११६.१२६, १३०] होयसल बल्लाल द्वि. का संधिविग्रहिक जैनमन्त्री, जिसने १२०५ ई० में एक अनुपम बिनालय निर्माण कराया था बेलगवतिनाथ में । [ मे. १५२,१७०] - उसकी पत्नी सोमलवेदी ने भी १२०७ ई० में एक वसति निर्माण कराकर उसके लिए दान दिया था। दे. एच । [ मेजं. १३०, १९७ ] दे. एचिकम् । ऐतिहासिक व्यक्तिकोष १५१

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