Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 170
________________ शिव्य नरेन्द्रसेन को, १०८१ ६० में, दानादि दिये थे । एरेबय्य उस समय पुलिगेरे ( लक्ष्मेश्वर) का शासक भी था। [ जंशिसं. iv. १६५ ] एरेयंग (एरेयङ्ग)- १. गंगनरेश शिवमार संगोत का भतीजा, विजयादित्य [ का पुत्र, रायमल्ल का पिता । जैशिखं. ॥ २१२; iv. ९६ ] २. एरेयङ्ग, एरेगङ्ग, एरेयप्प, एरेय, एरंग, एलेरेगंग आदि नामरूपों से उल्लिखित गंगनरेश नीतिमागं प्र० कोगुणिवर्मन, जो रायमल्ल प्र० सत्यवाक्य का पुत्र, गुणदुतरंग बूलुग का पिता । इस धर्मात्मा शूरवीर जननरेश ने पल्लवों को पराजित किया था । अत: रणविक्रम भी कहलाता था। इसका समय ८५३८७० ई० है । संभवतया कल्लेदेव द्वारा एलाचार्य की समाधि इसी के समय निर्माणित हुई थी। [प्रमुख. ७७-७८: भाइ २६९; शिसं . १४२, २१३, २६७, २७७, २९९; मे. १७३] १५६ ३. एरेय एरेयंग ( या ररेगंग) कोमरबेडंग नीतिमार्ग हि. उपरोक्त एरेगंग नीतिमागं प्र० का पौत्र, रायमल्ल सत्यवाक्य का भतीजा, पल्लवराज को लूटनेवाले गुणदुसरंग वृतुग का अमोधव प्र. की कन्या राजकुमारी चन्द्रबलम्बे ( अब्बलब्बा) से उत्पन्न पुत्र, वीर बेडंग नरसिंह सत्यवाक्य का पिता, कच्चेयगंगराचमल्ल और ब्रूतुग द्वि. (९३६ ई०) का पिता । यह महेन्द्रान्तक भी कहलाता था, राज्यकाल न० ९०७-९१७ ई० । [प्रमुख. ७८; भाइ २६९; शिसं. ii. १४२, २१३, २६७, २७७, २९९ ] ४. होयसल विनयादित्य द्वि. (१०६०-११०१ ई०) का पुत्र, युवराज एरेमग महाप्रभु गगत्रिभुवनमल्ल, युवराशी एचलदेवि का पति, बल्लाल प्र०, विष्णुवर्धन और उदयादित्य का पिता, बुद्धिमान कुशल राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक, शूरवीर योखा, देशीयगण के गोपनंदिपडितदेव का गृहस्थ शिष्य । पिता के राज्य का वास्तविक सचालक पिता के बीवनकाल में अथवा तुरन्त पश्चात मृत्यु हुई । उसने अन्य अनेक धार्मिक कार्यों के अतिरिक्त, १०९३ ई० में श्रवणबेलगोलस्थ चन्द्रगिरि के जिना ऐतिहासिक व्यक्तिकोश

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