Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 181
________________ पित हुई थी, जिससे बनेक प्राचीन ग्रन्थ प्रकाशित हुए, बोर जिसके मन्त्री सेठ राजमल बड़जात्या (विदिता) थे । अनन्त प्रसाद जैन 'लोकपाल', प्रो०- दिन जैन, संस्कृति-साहित्य- समाब सेवी, पटना के इंजीनियरिंग कालेज के अध्यक्ष पद से अवकाश लेकर गोरखपुर (उ० प्र०) में मा बसे थे, वहाँ ८० वर्ष की आयु में, ३० मई १९८६ ई० को उनका निधन हुआ । चैन feared की वैज्ञानिक व्याख्या करने में निपुण थे, हिन्दी और अंग्रेजी में अनेक लेल ट्रैक्ट एवं पुरुनकें लिखकर प्रकाशित को या कराई। अनन्तबेला चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की, वैशाली एवं पावानगर ( फाजिलनगर-सठियांव डीह, जिला देवरिया) तीर्थों का अपूर्व उत्माह से प्रचार किया । व्र० शीतल प्रसाद के अनन्य भक्त, अ० वि० जैन मिशन के सहयोगी, ओर ती. म० स्मृति केन्द्र लखनऊ के प्रेमी थे । [शोधादनं २. २७] अनन्तमाला जैन -- मेरठ के ख्यातिप्राप्त अध्यापक तथा जैन बोडिंग हाउस मेरठ के मूल संस्थापक मा० उग्रसेन कंसल की पुत्री, बा० पारस दास जैन की पुत्रवधु, विद्यावारिधि डा० ज्योतिप्रसाद जैन की धर्मपत्नि और डा० शशिकान्त एवं रमाकान्त जैन को जननी श्रीमती अनन्तमाला जैन (जन्म अक्तूबर १९१२, स्वर्ग. ५ अप्रेल १९५६ ई०) धार्मिक प्रवृत्ति की स्वाध्यायशील विदुषी महिला थीं, और अनन्त ज्योति विद्यापीठ लखनऊ की संस्थापिका थीं, जिसके अन्तर्गत अन्य सांस्कृतिक, शैक्षिक एव सामाजिक प्रवृत्तियों के अतिरिक्त कान्त बाल केन्द्र नामक बाल-विद्यालय लखनऊ में १९७० ई० से सफलता पूर्वक चल रहा है। मूलत: केकड़ी निवासी दिग. जैन, पण्डित, न्यायतीर्थ, आयुर्वेदाचार्य, कुशल वैद्य, मानवभूमि के धार्मिक-सामाfre क्षेत्र में लोकप्रिय, महावीर फार्मेसी उज्जैन के संस्थापक, आयुर्वेद महाविद्यालय की स्थापना में प्रेरक, विक्रम विश्वविद्यालय के प्रमुख सदस्य । [ विद्वत् १९३] धारा (बिहार) के लब्धप्रतिष्ठ संस्कृति-साहित्य-समाजसेवी रईस स्व० वा० देवकुमार जी की धर्मपानी स्व० ब्रह्म अनन्तराज शास्त्री. पं० जपमालादेवी, ४० ऐतिहासिक व्यक्तिकोश १६७

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