Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 190
________________ Pासारखी, पं०- २१ सितम्बर, १८९७.श्रेयपुर (राजस्थान) में मानीलाल जी और हीराली पुलाम । शास्त्री' एवं साहित्याचार्य' परीक्षाएं उत्तीर्ण की। विद्यालंकार', 'धर्म दिवाकर' सबा परवीर' उपापियों से विभूषित हुए। भाजीविका हेतु अनेक स्थानों पर शिक्षण कार्य एवं अन्य बनेक व्यवसाय किये। सुकवि, सुलेखक, सुबक्ता और धोपदेशक के रूप में ख्याति प्राप्त । धर्म सोपान, हिसा तत्व विवेक मंजषा दिन साकी पर्वा नपर्म सर्वथा स्वतन्त्र धर्म बन मन्दिर और हरिवन, अयोमार्ग, वर्णविज्ञान, जैन धर्म और जाति, तत्वालोक, बारम भव, महावीर देखना, पुण्य धर्म मौमांसा, भावनिङ्गि लिङ्गि मुनि का स्वरूप, साम्यवाद से मोर्चा, भारतीय संस्कृति का मूलरूप, पशुवध सबसे बड़ा देशद्रोह, मन्दिर प्रवेश मीमांसा, रात्रि भोजन, शान्ति पीयूषधारा, भक्ति कुसुम संचय बादि कृतियों की रचना और पंचस्तोत्र, आत्मानुसासन एवं स्वयंभूस्तोत्र का हिन्दी पचानुवाद किया। मंबरी. लाल बाकलीवालस्मारिका तथा सोलमाल न हितेच्छ, जैन गजट, समार्ग और अहिंसा पत्रों का सम्पादन किया। ७३ वर्ष की आयु में २२ नवम्बर, १९७० को देहावसान। [विद्वत् अभि., पृ. १९५-१९६] उ पोन - मुजफ्फर नगर (उत्तर प्रदेश) निवासी स्वतन्त्रता सेनानी थे। इन्होंने सन् १९१९ में कांग्रेस में कार्य किया। गांधी जी के बामन्य भक्त रहे। इनके परिवार में शादी का ही प्रयोग होता रहा। सन् १९३०और १९१२बाम्दोलनों में जेल यात्रा की मोर सन् १९४१-४२ में नजर बन्द रहे। [उ. प्र. जैन, पृ. ८०] उसनम, स- मेरठ में ला. बनारसीदास बम सूतबाने के वितीय सुपुत्र बोर मा. मित्तर सेन के बगुब। अख, सुधरवादी विचारधारा के व्यक्ति। मिशनरी स्कूल में गोपी के अध्यापक । १७१ ऐमितिकको

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