Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 191
________________ बाद में अपना स्वयं का स्कूल चलाया । छोपयोगी भनेक पुस्तकें लिखी और निर्धन छात्रों को निश्शुल्क शिक्षण दिया । महात्मा गांधी के आन्दोलन से प्रभावित रहे। सादा सरल जीवन व्यतीत किया। जैन सभा मेरठ के सक्रिय सदस्य गौर जैन बोर्डिंग हाउस मेरठ के संस्थापकों में रहे । नवम्बर १९३५ ई० में स्वर्गवास | इनकी पुत्री बनन्तमाला का विवाह डाe ज्योति प्रसाद जैन से १२ फरवरी १९२९ को हुवा था । जन्म ६ फरवरी १८९४ स्वर्गवास १८ नवम्बर १९७२ ६०, जन्म स्थान सरधना, शिक्षा मेरठ में हुई, कार्यक्षेत्र बड़ौत, दिल्ली, काशीपुर, कानपुर आदि समाजसेवव्रतो धुन के पक्के कार्यकर्त्ता, सुधारक एवं शिक्षाप्रचारक, मा० दिग० जैन परिषद के एक स्तंभ, उसके भा०वि० चैन. परिषद परीक्षा बोर्ड के, उसकी १९३० में स्थापना से लेकर १९७० ई० पर्यन्त मन्त्री एवं संचालक रहे, उसकी सफलता एवं उपलब्धियों का मुख्य श्रेय उन्हें ही है, स्कूली व कालिजी छात्रairs में धर्म शिक्षा के प्रचार हेतु अनेक योजनाएं चलायीं । परिषद के समाजसुधार के कार्यक्रमों में सदा मागे रहे। अनेक विद्वानों को सतत् प्रेरणा देकर अनेक उपयोगी पुस्तकें लिखवाई और प्रकाशित कराई, जिनमें डा० ज्योति प्रसाद चैन कृत 'भारतीय इतिहास : एक दृष्टि', रुहेलखंड कुमायूँ जैन डायरेक्टरी, आदि मुख्य हैं । पत्र व्यवहार में निरालसी थे । स्व० ब्र० शीतल प्रसाद जी के विशेष भक्त थे । उग्रसेन जंग, मास्टर (परिषद)-- 1 उपसेन जैन, वकील- रोहतक (हरयाणा) निवासी । धर्म ग्रन्थों का अच्छा ज्ञान रखने वाले पण्डित प्रबुद्ध विचारक, समाज सुधारक और सक्रिय कार्यकर्ता रहे । मा० दि० जैन परिषद् परीक्षा बोर्ड के वर्षो मन्त्री रहे और अनेक छात्रोपयोगी धार्मिक पुस्तकें लिखी । उनलेग जंग, सौदागर - मेरठ के दिग० जैन, अग्रवाल गगंगोत्रीय एक कुशल व्यापारी । धर्मात्मा और सरल-सात्विक वृति वाले। इन्होंने हस्तिनापुर के दिग० चैन मन्दिर में मामस्तम्भ के निर्माण में प्रभूत आर्थिक सहयोग दिया अन्य धार्मिक एवं सामाजिक कार्यो में भी बराबर योग देते रहे । इनके पुत्र शीतल प्रसाद से डा० ऐतिहासिक व्यक्तिकीच १७७

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