Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 177
________________ विनालय के लिए भपिसाव किया था। [देसाई. ११४ जैमि. iv. २०९] गरिब मल्लिखेट्टि- नामक धर्मात्मा जैन सेठ ने चालुक्य सोमेश्वर तु.के राज्यकाल में,कई अन्य जैन व्यापारियों के सहयोग से, न. ११७५-७६१.में,गोलिहल्ली में विशाल बिमालय बनवाया पा। और उसके लिए भूमि बादि का दान दिया था। शायद यह पेठ अंगडिका निवासी था। दान बलात्कारपण के नेमिचः भट्टारक के शिष्य वासुपूज्य मट्टारक को दिया गया पा। [देसाई. ११७; गैशिसं iv. २१.] अंगरिक-कालिसेष्टि- ११८५६० के श्रवणबेलगोस के शि. ले. में उल्लिखित बसुविसेट्टी द्वारा प्रतिष्ठापित चतुर्विशति-तीर्थकरों की पूजार्चा के लिए दान देने वाला एक बानी श्रावक सेठ -नामान्तर बङ्गरिक भी। वैशिसं. .. १६१] अंगारगण- स्वयंभू छन्द (ल.८०.ई.) में उल्लिखित प्राकृत भाषा का पूर्ववर्ती कवि। [जैसाइ. ३८४] अंतिग एक पल्लव नरेश, जिसे राष्ट्रकूट कृष्ण तृ. (९३९-९६७६०) ने पराजित किया था- देवली के सि. ले. में उल्लिखित । [जैसाइ. ३२३] ऐतिहासिक क्तिको

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