Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 169
________________ एरमंदि एरहगोड एरिनि एरेकप एरेग एरेगंक एरेगङ्ग एरेमय्यएरेब १. होयसल युवराज एरेयङ्ग, बल्लाल प्र० और विष्णुवर्धन के पिता का अपरनाम, एरमस्टप । [शिर्स 1. १४४ ] २. सौन्दति के रट्टवंश में उत्पन्न एक जैन राजा, कसकर का पुत्र, वाचा का अनुज [जैशिसं. ii. २३७] ३. दानशीला रानी पटियम्बरसि का ज्येष्ठ पुत्र, एक्कलरस का भानजा । [प्रमुख. १७० ] उपनाम नरतोंग पल्लवरेयन, जिसने, ल० ११०० ई० में, तमिल देशस्थ तण्डपुरम् की जैनवसति के लिए दान दिया था। [जैशिसं. iv. २२५ ] बंदलिके के १२०३ ई० के शि. ले. में उल्लिखित नागरखंड का एक प्रमुख जैन, मल विल्ले का प्रशासक एरहगोड । [प्रमुख. १३२] चेरवंशी जैन नरेश अतिमान का पूर्वज वजि का राजा । एरेप [जेसिस. iii दे. एरेमथ्य । दे. एरेमय्य, तथा दे. एरेयंग कदम्ब नरेश । होयसलों के धर्मात्मा नगरसेठ सोविसेट्टि (११७८ ई०) का ४३४] [ जैशिसं. iv. १६५ ] renteral प्रपितामह। [ प्रमुख. १६२ ] जिनधर्मी गंगवंशी नरेश रायमल्ल प्र० एरेगंग (७१३-७२६ ई०) जो शिवमार नवकाम का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था। [प्रमुख. ७५] दे. एरेयमय्य । गंगवंशी जैन नरेश, जिसके समय, ल० ९०० ई० में, एलाचार्य के समाधिमरण करने पर उनके शिष्य कल्नेलेदेव ने उनकी गमाथि बनवाई थी । [जैशिस iv. ७६ ] या एरेयम्प गंगनरेश ब्रूतुम द्वि. का पुत्र और राजमल्ल का पिता । अमोधवर्ष तु० की पुत्री रेवक्का का पति, ल० ९६० ई० । दे. एरेय, तथा एयप्रस । [जैशिख. iv. ९६ एरेयमम्य - एरेमम्य, एरेग या एरेकप, चालुक्य विक्रमादि षष्ठ के पुत्र एव मे. १०५ ] वायसराय जयसिंह का महासामन्त एवं महाप्रचंड दण्डनायक, जिसके अनुज दानवीर दोन ने सेनगण के आचार्य नयसेन के ऐतिहासिक व्यक्तिकोश १५५

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