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१०. अभयनन्दि पण्डित, जिनके गृहस्थ शिष्य कोतस्य ने ११०० ६. के लगभग श्रवण बेलगोल की यात्रा की थी। [शिसं. i. २२] ११. वाणीगच्छ (सरस्वतीगच्छ) के विजयेन्द्रसूरि के परम्परा शिष्य, और महिपालचरित्र के कर्ता चारित्रभूषण के गुरु रत्ननन्दि के प्रगुरु योगीन्द्रचूडामणि अभयनन्दिसूरि। [प्रवी..
१२. पश्चिमी चालुक्य नरेश विक्रमादित्य पंचम (१००८-१५ ई.) के राज्यकाल के १०० ई. के शि. ले. में प्रदत देशीगणकन्दकन्दान्वय की मरूपरम्परा (रविचन्द्र-गणसागर-गणचन्द्रअभयनन्दि-माघनन्दि-सिंहनन्दि-कल्याणकोति) में उल्लिखित अभयनन्दि। [देसाई. ३४७] १३. सन १०७१-७२ ई० के दो शि. ले. में उल्लिखित नन्दिसघबलात्कारगण के आचार्य विमलचन्द्र के प्रशिष्य, गुणचन्द्र के शिष्य, गण्डविमुक्त प्र. के सधर्मा, सकलचन्द्र सिद्धान्तिक के गुरु, और उन गण्डविमुक्त वि. के प्रगुरु जिनके शिष्य त्रिभुवनचन्द्र थे। [जैशिसं. iv. १५४-१५५; देसाई ३८७-८] १४. सूरतपट्ट के भ. लक्ष्मीचन्द्र की परम्परा में हुए वह अभयनन्दि जो अभयचन्द्र के शिष्य और रत्नकीति के गुरु थे, बृहत्शोडशकारण पूजा एवं उसकी प्राकृत जमाल के रचयिता- कई प्रतिमालेखों में भी उल्लेख है। शिष्य रत्नकोनि का समय १६०७ ई० है। दशलाक्षण पूजा भी शायद इन्ही की कृति है। [शोषांक. ४६ पृ. २२१. प्रवी. i. ६३] १५. अभयनन्दि, जिनका प्रमाचन्द्राचार्य (ल. १०१०-५० ई.) ने अपने शब्दाम्भोज-भास्कर नामक जैनेन्द्र महान्यास में देवनन्दि के साथ स्मरण किया है- महावृत्तिकार से ही अभिप्राय प्रतीत होना है। [प्रवी. i. ९४] १६. स्वप्नमहोत्सव-बृहत् तथा स्वप्नविधिबृहत् के कर्ता । [शोषांक. ४६, पृ. २२१]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
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