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पुत्र या शिष्य थे, और जिनका स्वर्गवास सस्लेखनापूर्वक १२७१ ई. में हुआ था। [मेज २१३; एक. v. १३३; जैशिसं. ii. ५२४] १४. अभयचन्द्र सिद्धान्त-चक्रवर्ती, जिनके शिष्य श्रुतमुनि और प्रशिष्य प्रभेन्दु थे- प्रभेन्दु के प्रधानशिष्य श्रुतकीर्ति (स्वर्ग, १३८४६०) थे। श्रुतमुनि के परमागमसार में भी इनका उल्लेख है। शोषक ४८; जैशिसं. iii. ५०४, प्रवी. । १२८] १५. चारुकीति पंडितदेव (ल. १२०० ई.) के गुरु अभयचन्द्र सिद्धान्तदेव [जैशिसं. iii. ४३८; एक. vii. २२७] १६. उन बालचन्द्र पंडितदेव के गुरु अभयचन्द्र सिद्धान्तिक-चक्रवर्ती, जिनकी गृहस्थशिष्या प्राविका मलियक्के (मलब्वे) ने, ल. १२०० ई. में, समाधिमरण किया था। [जैशिसं. iii. ४३९; एक.xii.५] १७. माधनन्दि एवं नेमिचन्द्र की शिष्य परम्परा में उत्पन्न महानवादी 'वादिसिंह' अभयचन्द्रदेव, अभयचन्द्रसूरि या अभयसूरि, जिनके शिष्य श्रुतमुनि एवं प्रशिष्य श्रुतकीति थे -श्रुतकीति के प्रशिष्य चारुकीति पंडितदेव का स्वर्गवास १३९८ ई० में हमा। [शोषांक-४८; जैशिसं.i. १.५] १८. रायराजगुरु, महावादवादीश्वर, रायवादीपितामह अभयचन्द्र सिद्धान्तदेव, जिनका गृहस्थशिष्य नागरखंड का शासक बुल्लगोड था -बुल्लगौड के पौत्र गोपणगौड का स्वर्गवास १४१५ ई० में हुआ था। [शोषांक-४८; जैशिसं. ifi६१०; iv. ५४५; एक. vii ३२९] १९. देवचन्द्र के शिष्य अभयचन्द्र, जो नागरखंड के शासक गोपी पति (गोपण) और उसके पुत्र बुल्लपगौड (स्वर्ग १४६६ ई.) के राजगुरु थे। [जैशिसं. iv. ५४५; iii. ६४६; एक. vili. ३३० २०. वर्षमान मुनिद्वारा विद्वत्स्तोत्र ( १५४२ ई.) में स्मृत अभयचन्द्रसूरि, जो कल्याणनाथ के पुत्र थे और साल्वेन्द्र नृप की
सभा में पूजित हुए थे। [शोषांक-४८; प्रसं. १३५] ऐतिहासिक व्यक्तिकोष