Book Title: Jain Gajal Manohar Hir Pushpmala Author(s): H P Porwal Publisher: Jain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिनगुणहीरपुष्पमाला ॥ तर्ज मेरे मोला बुलालो मदिने मुझे ॥ मेरे प्रभुजी बुलालो मुक्तीमें मुझे, इन कोने आके सताया मुझे ॥टेर ॥ साथवाले चलबसे मै अवतलक सोता रहा । एसी गफलत नींदमे इस उमर को खोता रहा । नही आके किसीने जगाया मुझे ॥ मेरे ॥१॥ मात और तात कोइ साथ नही चलते मेरे । दिन और रात बडे फिक्रसे निकलते मेरे । तेरे चरणोंका सरणा दिला दो मुझे ॥ मेरे० ॥ २॥ भरोसा दमका नही एकदममे निकल जा दम ये । हर घडी हरसमे तेरी याद मुझको गमये । जिनवाणी का प्याला पिला दो मुझे ॥ मेरे० ॥३॥ कर दिया हैरान मुझको ऐसे पंचम कालने । मानने गुमानने और फरेबो के जालने । नही सीधा राहा बताया किसीने मुझे ॥ मेरे० ॥ ४ ॥ फसके मोह जालमे नाम भुलाया तेरा । लुटते जाते कर्म आन के डेरा मेरा। मै तो सेवक हुँ तेरा बचालो मुझे ॥ मेरे० ॥५॥ For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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