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जिनगुणहीरपुष्पमाला
श्री जैन गजलौंकी चमकती अंगूठी.
( १ )
[ गजल. ]
देखो नजरसे प्यारे इतना अंधेर क्या है । करलो प्रभुकी पूजा अब हेर फेर क्या है || ढेर || जिसने निघासें देखा, नहि खोट है रतिभर । हीरो मे हाथ डाला कंचनका ढेर क्या है ॥ १ ॥ हे चंद रोज मेला अखिर मे होगा जाना | तुम पूजा क्यो न करते प्रभुसे बैर क्या है ॥ २ ॥ करलो भलाई जगमे आती है काम वोही । सच्चा है नाम उसका अब लहर मेर क्या है ॥ ३ ॥ मिथ्यात्वरुपी मठ है इसका सुधार कीजे । हिराचंद झूट जगकी देखे तुं सेर क्या है ॥ ४ ॥
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( २ ) [ सवैया ]
कलम कान में क्या कहती है
जसे उखाडके सुखाय डाले मांही;
मेरे प्राण वोट डाले घरी जुओ केम कानमे;
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