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जिनगुणहीरपुष्पमाला
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[गजल ताल] अब जाग जा मुसाफर, क्यों निन्दमे पड़ा है। बीती है रेन सारी, यही दिन भी चडा है ॥ अब तो सराय माइ, रहना न होगा भाइ। दो दिन करो हवाइ, छोटा ओर क्या बडा है ।। यो चोर चार रेते, पुंजीको खोस देते। भ्रमजाल डाल देते, क्यों सुस्त हो खडा हे ॥ जूठी हे जिंदगानी, क्या भूलिया से जानी। हीराचंद कहे रे प्राणी, किस बात पर अडा हे॥
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॥दोहा॥ शोक हे यदि जैन होकर, नैन हम खोले नहीं, धर्म खो कर पाप बो कर गर्वसे डोले नही; व्यर्थ हे धन केलि होना, शान भी बेकार है, जिनको न निजका ज्ञान है, उनको सदा धिकार है,
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