Book Title: Jain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Author(s): H P Porwal
Publisher: Jain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४२ जिनगुणहीरपुष्पमाला ( ६ ) [ मेरे मौला बुला लो मदिने मुजे ] दाता महेर नजर करी तारो मने. दास तारा छे अनंता, शुं थवानुं एथी, सागर भरेलुं तोयथी, नालाथी कइ फुगतु नथी । प्रभुजी हाथ पकड ले जावो मुने ॥ १ ॥ दास तारो छु प्रभु, तम दासनो पण दास हुँ; छोडाव आ संसारथी, प्रभु भार हवे हुं ना सहुं । व्हाला आप सरिखो बनावो मुने ॥ २ ॥ दास हीराचंदनी अरजी प्रभु उद्धारजो; आश सम्यग रत्ननी कृपा करीने आपजो । दादा भवजल पार उतारो मने. || दा० ३ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७ ) [ गजल धुन कव्वाली. ] अगर दुनियामें हो हुसियार उगाना ना मुनासिव है । टेर । प्रभु का नाम है सच्चा न पलभर उसको भूले तुम, भजन विन जिन्दगी व्यर्था गमाना ना मुनासिब है || १ || For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49