Book Title: Jain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Author(s): H P Porwal
Publisher: Jain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिनगुणहीरपुष्पमाला आत्म लक्ष्मी कमल निवासी, for भ्रमर मन रीजेरे रीजेरे रीजे मोक्ष लीजे ॥५॥ ( ७ ) ॥ गजल ॥ भजो महावीर के चरणों. छुडा देगा जन्म मरणो । अंचली । जगतमे देव आली है, सुरत सबसे निराली है, सुखके है वशीकरण, छुडा देगा जनम मरणो भजा ० | १ | जिन्होने राज्यको छोडा, स्त्रियादिकसे भी मुह मोडा, जगत अंधेर के हरणो, छुड़ा देगा जनम मरणो भजा० |२| राग जीनमे नही लवलेश नही कीसीसे है उनको द्वेष, सेवा ए देव जग तरणो, छुड़ा देगा जनम मरणो भजो १३ | महा मोहे जगत जित्ता, इन्हे उसको हरा दीत्ता, सदाशिव लब्धके वरण, छुडादेगा जनममरणो भजेो. ॥४॥ ( ८ ) भजले महावीर भगवान, भवसे पार लगाने वाले, सिद्धारथ कुल नभ चंद, राणी त्रिशलाके हे नंद; काटे जन्म मरण के फंद, मोक्षके द्वार पहुंचानेवाले | भज ले || १ || For Private and Personal Use Only

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