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जिनगुणहीरपुष्पमाला
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न कलपाओ दया लाओ, हमे निज पास बुलवाओ । सहा जाता नहीं अब तो, विरह का बोज भारी है । वि० ११ ज्ञानसे ध्यान से तेरा, न सानी रूप दुनियामें । फिदा हो प्रेम में तेरे, उमर सारी गुजारी हैं । वि० । २ दया पूरन कष्ट चूरन करो अब आश मम पूरन । मेहेर की एकही दृष्टी, हमे काफी तुम्हारी है । वि० । ३ विमल है नाम जिन तेरा, विमल कर नाथ मन मेरा । चरण मे आपके डेरा, तिलक भव भव स्वीकारी है । वि० |४
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( १७ )
( चाल - आसक तो हो चुका हूँ )
पैदा हुवे हे भगवन, दुःखसे छुडानेवाले; भुले हुवे जनोंको, रस्ता बतानेवाले ॥ टेर सिद्धार्थके दुलारे, त्रिशलाके नंद प्यारे; आंखों मेरे तारे, दिलको लुभानेवाले. । पैदा० १ जन्माभिषेक जिस दम, इन्द्रोसे हो रहा था; अंगुष्ट बलसे उस दम, मेरू चलाने वाले । पैदा० २ संसार मोह माया को ध्यान से हटाया, आनंद धाम पाया, करुणा समुद्र वाले. ।
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पैदा० ३
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