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जिनगुणहीरपुष्पमाला
( ३४ )
( वारी जाउ रे सांवरिया - ए राग ) वारी जाउं रे जिनवरजी तुझ पर वारना रे || ढेर || पोष वदि दशमी दिन जायो, दिशकुंअरी मिल मंगल गायो; इन्द्रादिक सब हर्ष विधायो, गावे गीत सुहावना रे. वा० १ अश्वसेन राजा कुल नंदन, नगर बनारस शोभा सुन्दर; घर घर लोग करे अमिनंदन, वामा राणीके घर झूले पारणारे. वारी० २ दीक्षा ले प्रभु केवल पाये, अष्ट कर्मको दूर भगाये; समेतशिखर पर मुक्ति सिधाये, आवागमन निवारनारे. वा० श्रीजिनचंद्रसूरि सुपसाये, श्रीजिनहर्ष हिये हुलसाये; सेवक प्रभुजीके चरणे आये, भवसागर निस्तारणारे. वा०
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( ३५ )
[ ठुमरी ] जाओ जाओ नेम पिया तेरी गति जानी रे । sairat अरजी मेरी नही पिया मानी रे || ढेर || अब कहि कियो संग, सहसावन लियो रंग । सोलहसो रानी के बीच, राधा रुकमणी रे ॥ १ ॥
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