Book Title: Jain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Author(s): H P Porwal
Publisher: Jain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ૨૮ जिनगुणहीरपुष्पमाला ( ३४ ) ( वारी जाउ रे सांवरिया - ए राग ) वारी जाउं रे जिनवरजी तुझ पर वारना रे || ढेर || पोष वदि दशमी दिन जायो, दिशकुंअरी मिल मंगल गायो; इन्द्रादिक सब हर्ष विधायो, गावे गीत सुहावना रे. वा० १ अश्वसेन राजा कुल नंदन, नगर बनारस शोभा सुन्दर; घर घर लोग करे अमिनंदन, वामा राणीके घर झूले पारणारे. वारी० २ दीक्षा ले प्रभु केवल पाये, अष्ट कर्मको दूर भगाये; समेतशिखर पर मुक्ति सिधाये, आवागमन निवारनारे. वा० श्रीजिनचंद्रसूरि सुपसाये, श्रीजिनहर्ष हिये हुलसाये; सेवक प्रभुजीके चरणे आये, भवसागर निस्तारणारे. वा० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३५ ) [ ठुमरी ] जाओ जाओ नेम पिया तेरी गति जानी रे । sairat अरजी मेरी नही पिया मानी रे || ढेर || अब कहि कियो संग, सहसावन लियो रंग । सोलहसो रानी के बीच, राधा रुकमणी रे ॥ १ ॥ For Private and Personal Use Only

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