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जिनगुणहीरपुष्पमाला युवा हुइ तिरीया, मर गये बालम;
रांड कर दीनी दुःख उठाने को ।। २ ।। रो रो कर वो रूदन मचावे; सुन आवे दया सब जमाने को ॥ ३ ॥ मरियो पापी मा बाप म्हारा; म्हने बेची थी थैली भराने को || ४ || मरियो पंडित व्याह सुझइयो; फेरे बुढढे से आया फिराने को ।। ५ ।। मेरा तरसना दुष्टो ने कीना लोभ; छाया था धन के कमाने को ॥ ६ ॥ रो रो कर मै आंख्या गमाउं जाउं; किसको में हाय सुनाने को ॥ ७ ॥
जिन पंचो का भरोसा गिनेथी; वोह तो शामिल थे लडडू उडाने को ॥ ८ ॥
कैसी ए ओंधी जोडी मिलावे: लोगो के हंस ने हंसाने को ।। ९ ।।
वीसकी पुत्री सात के बालम, व्याहो क्या दुध पिलाने को ॥ १० ॥
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