Book Title: Jain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Author(s): H P Porwal
Publisher: Jain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिनगुणहीरपुषमाला तुम नाम मंत्र से साजा, कुछ हो गया प्रभु ताजा: . तो कठोर गाम महाराजा, आया टोल टोल टोल ४ श्री आदि शांति जीन स्वामी, हंसो मागे शिरनामी; गुण मुक्ताफल यो घामा, प्रभु विन मोल मोल मोल में०५ (२८) बलिहारी बलिहारी बलिहारी, जगनाथ हो जाउं तोरी। शांतिजिन शांति सेवक दिजीयेजी. ॥ ए आंकणी ॥ काल अनादि केरा, फिरता हुं जगमे फेरा; अंत न आयो जिन उपकारी. . जगनाथ० १ पुण्य उदय पायो, चरण शरण दायो; और न तुम सम जग दातारी. जगनाथ० २ चिदघन नामी स्वामी, शिवपद गामी पामी खोट न मानें अब हितकारी. जगनाथ० ३ दीन अनाथ नाथ, अहियो मै हाथ साथ; दोष न रंचक गुणभंडारी. जगनाथ०४ आतम सुख आपो, वल्लभ दुःख कापो; फेर न लई भव अवतारी. जगनाथ०५ For Private and Personal Use Only

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