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जिनगुणहीरपुषमाला तुम नाम मंत्र से साजा, कुछ हो गया प्रभु ताजा: . तो कठोर गाम महाराजा, आया टोल टोल टोल ४ श्री आदि शांति जीन स्वामी, हंसो मागे शिरनामी; गुण मुक्ताफल यो घामा, प्रभु विन मोल मोल मोल में०५
(२८) बलिहारी बलिहारी बलिहारी, जगनाथ हो जाउं तोरी। शांतिजिन शांति सेवक दिजीयेजी. ॥ ए आंकणी ॥ काल अनादि केरा, फिरता हुं जगमे फेरा; अंत न आयो जिन उपकारी. . जगनाथ० १ पुण्य उदय पायो, चरण शरण दायो;
और न तुम सम जग दातारी. जगनाथ० २ चिदघन नामी स्वामी, शिवपद गामी पामी खोट न मानें अब हितकारी. जगनाथ० ३ दीन अनाथ नाथ, अहियो मै हाथ साथ; दोष न रंचक गुणभंडारी.
जगनाथ०४ आतम सुख आपो, वल्लभ दुःख कापो; फेर न लई भव अवतारी.
जगनाथ०५
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